चुनाव आयोग के एक वार से केजरीवाल समेत सबकी आंखें आईं बाहर, देश विरोधी हरकतें पड़ी भारी

ईवीएम मशीन से छेड़छाड़नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने सारे आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। आयोग ने कहा है कि वोटिंग मशीन की सिक्योरिटी इतनी हाई लेवेल पर की जाती है कि इसमें निर्माण के समय भी किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है।

विपक्षी दलों के लगातार जारी आरोपों का खंडन करते हुए आयोग ने बताया है कि अपना विचार रखने के लिये उसने ‘अक्सर पूछे जाने वाले सवालों’ (एफएक्यू) की एक सूची सार्वजनिक की है। पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनावों के बाद से ही यूपी में भाजपा को जिस तरह से बहुमत मिला है उसे लेकर तमाम राजनीतिक पार्टियां ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहे हैं जिसके जवाब में आयोग ने हाल में मशीनों का बचाव करते हुए दो बयान जारी किये थे और मशीनों की विश्वसनीयता पर संदेह करने वालों के जवाब में यह एफएक्यू उसका तीसरा प्रयास है।

आयोग द्वारा जारी एफएक्यू में जिन प्रश्नों का उल्लेख है, उनमें पहला सवाल है, क्या मशीन को हैक किया जा सकता है या नहीं? जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने लिखा है- नहीं। आयोग ने बताया कि ईवीएम का एम1 मॉडल वर्ष 2006 में निर्मित हुआ था। जिसमें सुरक्षा के सभी मानकों का ध्यान रखा गया था। जिससे इसे हैक करना नामुमकिन है।

वहीं ईवीएम का एम2 मॉडल वर्ष 2006 के बाद बनाया गया था। जिसमें साल 2012 तक अतिरिक्त सुरक्षा फीचर्स भी शामिल किए गए थे। चुनाव पैनल ने कहा, ‘‘अब ईसीआई-ईवीएम कम्प्युटर संचालित नहीं हैं। इन मशीनों को न तो इंटरनेट से और ना ही अन्य किसी भी नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। ऐसे में किसी भी प्रकार के रिमोट उपकरण से इसे हैक नहीं किया जा सकता है।

आयोग ने आगे कहा है कि इसमें कोई फ्रिक्वेंसी रिसीवर या वायरलेस के लिये डिकोडर अथवा अन्य किसी गैर-ईवीएम यंत्र या उपकरण से जोड़ने के लिये कोई बाह्य हार्डवेयर पोर्ट भी नहीं होता। साथ ही आयोग ने ईवीएम निर्माताओं द्वारा इसमें हेरफेर की आशंका को भी खारिज कर दिया। आयोग ने कहा, ‘‘यह संभव नहीं है क्योंकि वर्ष 2006 से ईवीएम अलग अलग वर्ष में निर्मित की गयीं और अलग अलग राज्यों में भेजी गयीं।“

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