इस घड़ी को देखकर घूम जायेगा आपका दिमाग, यहाँ हो रही है जमकर बिक्री…

अगर आप से कहा जाए कि अपनी घड़ी की सुई को उल्टा घुमाकर टाइम देखिए तो कैसा लगेगा। जी हां, सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लग सकता है, लेकिन दक्षिण और मध्‍य गुजरात में लोग बहुत तेजी से इस तरह की घड़‍ियों का इस्‍तेमाल कर रहे हैं।

तापी जिले में आदिवासी लालसिंह गमित इस ‘आदिवासी घड़ी’ को बनाते हैं। लालसिंह की मानें तो आदिवासी घड़ी बेहद लोकप्रिय हो गई है। पिछले दो साल में अब तक 10 से 15 हजार घड़‍ियां बेची जा चुकी हैं।

इस घड़ी को देखकर घूम जायेगा आपका दिमाग
70 साल के माथुर भेडी ने बताया कि आदिवासियों का इस गैर परंपरागत घड़ी का समर्थन करने के पीछे कई कारण हैं।

पहला ये कि आदिवासी प्रकृति और उसके तत्‍वों की पूजा करते हैं। होली और शादी में भी आदिवासी दाहिने से बाएं या कहें कि घड़ी के विपरीत जाते हैं। वे अभी भी इस परंपरा को मानते हैं।

आदिवासी घड़ी इसी का प्रतिनिधित्‍व करती है और यह वास्‍तव में सही दिशा है।

बता दें, माथुर के पास भी यह घड़ी है। उन्हें यह घड़ी उनके एक दोस्त ने गिफ्ट के रूप में दी थी।

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इस घड़ी पर आदिवासियों के हीरो बिरसा मुंडा की फोटो बनी है। आम घड़ी के मुकाबले इनकी घड़ी हमारे लिए उलटी घूमती है, लेकिन ये लोग इसका सही अर्थ समझाते हैं।

इनका कहना है कि पृथ्वी भी दायीं से बायीं ओर घूमती है। सूर्य, चंद्रमा और तारे भी उसी दिशा में घूमते हुए अंतरिक्ष की सैर कर रहे हैं। जल स्त्रोतों में पड़ने वाली भंवर हो या किसी पेड़ के तले से लिपटी बेल, उन सभी की दिशा यही होती है।

इतना ही नहीं शादी के समय फेरे लेते समय भी अग्नि के समक्ष दूल्हा- दुल्हन के सात फेरे भी दाहिने से बायीं ओर घूमकर पूरे किए जाते हैं। ऐसे में अगर हमारी घड़ी भी इसी दिशा में घूमती है तो हर्ज ही क्या है।

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