इस्तीफे से साथ ही अनाथ हुई कांग्रेस, देखिए राहुल गांधी के राजनीतिक करियर के सारे उतार चढ़ाव और क्यों हुआ ऐसा

राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफे का पत्र सार्वजनिक कर आगे की सारी संभावनाओं को राहुल ने खत्म कर दिया. साथ ही कांग्रेस को ‘गांधी परिवार’ से मुक्त रखने की दिशा में भी कदम बढ़ा दिया है. इसी के मद्देनजर राहुल गांधी ने एक लकीर भी खींच दी है कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष ‘गांधी परिवार’ के बाहर का ही होगा.

राहुल गांधी ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. इतना ही नहीं लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी पूरी तरह से मझधार में फंसी हुई नजर आ रही है. ऐसे सियासी माहौल में कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ना और नए राजनीतिक प्रयोग के लिए जो कदम उठा रहे हैं उससे यह सवाल खड़ा होता है कि राहुल कहीं पॉलिटिकल रिस्क तो नहीं ले रहे हैं.

राहुल गांधी के इस फैसले के साथ ही यह साफ हो गया है कि 21 साल बाद कांग्रेस की कमान एक बार फिर नेहरू-गांधी परिवार से बाहर किसी और नेता के हाथ में होगी. इंदिरा और राजीव के बाद ‘गांधी परिवार’ से सोनिया गांधी 1998 में अध्यक्ष बनीं और 2017 तक इस पद पर रहीं. इस दौरान कांग्रेस 10 साल तक केंद्र की सत्ता पर काबिज रही.

सोनिया गांधी के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की ताजपोशी दिसंबर, 2017 में हुई थी. हालांकि राहुल गांधी ने 2004 में राजनीतिक एंट्री की थी और 2007 में राष्ट्रीय महासचिव बने और बाद में उपाध्यक्ष के पद रहे. इस दौरान राहुल गांधी ने कांग्रेस संगठन को नई धार देने के लिए लिंगदोह कमेटी के तर्ज पर खड़ा करने की कोशिश की थी. इसके अलावा कई प्रत्याशियों के लिए कई राजनीतिक प्रयोग किए थे, जिनमें वह सफल नहीं हो सके.

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राजनीतिक प्रयोग में विफल रहे राहुल

राहुल महासचिव के पद पर रहते हुए एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस संगठन में सीधे पदों पर चयन के बजाय चुनाव को तरजीह दिया. उपाध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी ने चुनाव में कैंडिडेट को मैदान में उतारने से पहले प्रत्याशी चयन के लिए उसी के क्षेत्र में बकायदा वोटिंग प्रक्रिया के फॉर्मूले को आजमाया गया. इस बार के लोकसभा चुनाव में कैंडिडेट के चयन में शक्ति ऐप को राहुल ने अहमियत दी थी. इन तीनों प्रयोग में बुरी तरह से राहुल गांधी फेल रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेस को गांधी परिवार के सहारे की मानसिकता से मुक्त करने के कदम में राहुल गांधी कहां तक सफल होंगे?

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