इन चेहरों के बिना अधूरा ही रह जाता मंदिर निर्माण का सपना

अयोध्या. अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि पर राम मंदिर निर्माण की शुभ घड़ी आ चुकी है। इस शुभ घड़ी का साक्षी बना देश का हर एक नागरिक आज (5 अगस्त 2020) को इस एतिहासिक पल से काफी उत्साहित है। श्री राम जन्मभूमि के भूमिपूजन के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम नगरी अयोध्या पहुंच चुके हैं। यहां पीएम निर्धारित मुहूर्त में भूमि पूजन के साथ मंदिर निर्माण की आधारशिला का भी पूजन करेंगे। कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज (5 अगस्त 2020) यह एतिहासिक पल आया है।

इसके पीछे कई लोगों का योगदान और मेहनत है। वर्षों से अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए हुए आंदोलन ने कई प्रमुख चेहरों को समय-समय पर अभियान को आगे बढ़ाते देखा है। आइए जानते हैं इस आंदेलन से जुड़े कुछ ऐसे चेहरों के बारे में जिनके संघर्ष और प्रयासों से मंदिर निर्माण का यह शुभ कार्य होने जा रहा है।

महंत रघुबर दास
श्री राम मंदिर आंदोलन के आरंभकर्ताओं में से एक रहे महंत रघुबर दास, जिन्होंने बाबरी मस्जिद के पास राम मंदिर बनाने की अनुमति के लिए फैजाबाद कोर्ट में याचिका दायर की थी।

गोपाल सिंह विशारद
इस आंदोलन के प्रमुख योद्धाओं में से एक और हिन्दू महासभा के जिला प्रमुख गोपाल सिंह विशारद ने 1950 में स्वतंत्र भारत में मंदिर विवाद को लेकर पहला मामला दायर किया था। बता दें, सन् 1950 की बात है वह भगवान श्री राम के दर्शन करे जा रहे थे तभी पुलिस ने उन्हें रोक लिया, इसके बाद गोपाल सिंह विशारद ने एक याचिका दायर की और हिन्दुओं को राम जन्मभूमि तक बिना रोक-टोक जाने की अनुमति मांगी।


के.के. नायर
इस कड़ी में एक नाम आता है सन् 1930 बैच के आईएएस अधिकारी के.के. नायर का। के.के. नायर उस वक्त फैज़ाबाद के जिला मजिस्ट्रेट थे। उस वक्त 23 दिसंबर, 1949 की रात को राम लला की मूर्ति विवादित परिसर में रखी गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उस वक्त के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत ने विवादित स्थल से रामलला के मूर्ति को हटाने का आदेश दिया था, मगर के.के नायर ने ऐसा करने से मना कर दिया। नायर ने अपने राजनीतिक आकाओं से कहा था कि मूर्ति हटाने से पहले उन्हें हटाना होगा।

महंत दिग्विजय नाथ
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में सन् 1949 में गोरक्ष मंदिर के मुख्य पुजारी महंत दिग्विजय नाथ ने मूर्ति को विवादित परिसर में रखने के बाद मंदिर आंदोलन का नेतृत्व किया। महंत ने सभी संतों और साधकों को एक मंच पर लाकर आंदोलन का खाका तैयार किया जो बाद में पूरे देश में फैल गया। उसके बाद सन् 1969 में उनके निधन के बाद, उनके उत्तराधिकारी महंत अवैद्यनाथ ने मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपको बता दें, महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जिन्होंने मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई है।

सुरेश बघेल
इस आंदोलन में सक्रिय रहे मथुरा के वृंदावन निवासी और ‘कार सेवक’ सुरेश बघेल के योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। मस्जिद ढ़हाने में इन्होंने मुख्य भूमिका निभाई है। इन्होंने राम मंदिर के लिए पुलिस गिरफ्तारी से लेकर अदालतों के कई चक्कर लगाए हैं। फिलहाल, बघेल एक प्राइवेट कंपनी में 6 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी करते हैं और इन्होंने मंदिर से संबंधित मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।

अशोक सिंघल
विश्व हिंदु परिषद नेता अशोक सिंघल के नारे ‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो’ ने एक उन्माद पैदा किया और हिंदुओं को पहले की तरह लामबंद कर दिया। लेकिन साल 2015 में अशोक सिंघल इस दुनिया को अलविदा कह गए।

लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी
सन् 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के कारण श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के वास्तुकार रहे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी ने भी श्री राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई है। राम मंदिर के पक्ष में आडवाणी द्वारा की गई रथयात्रा को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सबसे अहम कड़ी के रूप में देखा जाता है।

विनय कटियार
बजरंग दल के संस्थापक और फायरब्रांड हिंदू नेता विनय कटियार ने श्री राम मंदिर मंदिर आंदोलन को एक धार दी। कटियार अयोध्या से तीन बार के सांसद बने, मगर बाद में राजनीतिक गुमनामी में चले गए।

कल्याण सिंह
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने श्री राम मंदिर निर्माण में एक अहम भूमिका निभाई है। बता दें, जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तब वह यूपी के मुख्यमंत्री थे और उसी दिन उनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया गया था। कल्याण सिंह को अदालत की अवमानना के लिए दोषी ठहराया गया था।

उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा
श्री राम मंदिर निर्माण आंदोलन में महिला ब्रिगे़ड का नेतृत्व करने वाली बीजेपी नेता उमा भारती और साध्वी ऋतंभरा का भी राम मंदिर निर्माण के संघर्ष में अहम योगदान रहा।

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