मोदी सरकार की नायाब स्कीम, अगर हैं शादीशुदा तो नहीं देना पड़ेगा इनकम टैक्स!

इनकम टैक्स में छूटनई दिल्ली। देश में नोटबंदी के फैसला और इसके बाद बैंकों एंव एटीएम से पैसा निकालने की तय मियाद से बढ़ी सिरदर्दी के बाद मोदी सरकार बहुत बड़ा तोहफा देने जा रही है। यह राहत इनकम टैक्स में छूट के तहत दिया जाएगा।

इनकम टैक्स में छूट की अगर बात की जाए तो अमेरिका में अगर पति-पत्नी एक साथ रिटर्न फाइल करते हैं तो उन्हें 50 फीसदी तक कम टैक्स चुकाना पड़ता है। जबकि भारत में अलग-अलग रिटर्न फाइल करने वाले जोड़ों को  इनकम टैक्स में छूट नहीं मिलती।

भारत में कमाऊ जोड़ों की संख्या बढ़ती जा रही है। भले ही यह अपने परिवार और भविष्य को ध्यान में रखकर कमाते हों लेकिन देश की जीडीपी में तो योगदान करते ही हैं। ऐसे में फाइनेंस मिनिस्टर को ऐसे जोड़े को टैक्स छूट देकर बढ़ावा देना चाहिए। इनकम टैक्स में छूट की यह राहत तलाक होने पर भी खत्म नहीं होनी चाहिए।

इस बारे में एक बार देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि ऊपरवाला जिनकी जोड़ियां बनाता है उन्हें धरती पर अलग नहीं करना चाहिए। पति-पत्नी एक ही इकाई हैं। इसे ध्यान में रखकर कमाऊ जोड़ों के हित में अब मोदी सरकार भी कुछ कदम उठा सकती है।

इस साल बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (डीडीटी) खत्म करके 80एल ला सकते हैं। डीडीटी के तहत पर्सनल टैक्स और कॉरपोरेट टैक्स दोनों पर डिविडेंड देना पड़ता है। जबकि 80एल के तहत सिर्फ कॉरपोरेट टैक्स पर डिविडेंड लिया जाता है।

1996 में फाइनेंस मिनिस्टर रहते समय पी चिदंबरम ने अधिक टैक्स जमा करने के नाम पर पर्सनल और कॉर्पोरेट टैक्स को मिलाना शुरू कर दिया। जेटली को चिदंबरम की इस पुरानी नीति से खुद को अलग करके करदाताओं को कुछ फायदा देना चाहिए।

डीडीटी के दायरे में रिटायर बुजुर्गों और विधवाओं की पेंशन भी आती है। इन लोगों की आमदनी का कोई जरिया नहीं, बावजूद इसके इन्हें अमीरों की तरह टैक्स चुकाना पड़ता है।

बीते साल जेटली ने 10 लाख रुपए से ज्यादा की आमदनी पर 10 फीसदी टैक्स लगाया था, लेकिन यह कदम पर्याप्त नहीं था। समय आ गया है कि डीडीटी को पूरी तरह समाप्त करना चाहिए।

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