धन देने में इच्छा शक्ति के अभाव से शांति अभियानों को झटका

इच्छा शक्ति की कमीसंयुक्त राष्ट्र| भारत ने शांति बहाली अभियानों के लिए धन उपलब्ध कराने में राजनैतिक इच्छा शक्ति की कमी पर निराशा जाहिर की है। धन उपलब्धता का यह संकट इस तथ्य के बावजूद है कि वैश्विक स्तर पर यह बात मानी जा रही है कि राष्ट्रों के अंदर के संघर्ष को और इनके अंतर्राष्ट्रीय असर को खत्म करने के लिए ऐसे अभियानों की बहुत जरूरत है।

इच्छा शक्ति की कमी

संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने गुरुवार को कहा, “शांति बहाली के प्रयासों के लिए साथ मिलकर की जाने वाली कार्रवाई और सहयोग के लिए बहुत कम राजनैतिक प्रतिबद्धता है।”

उन्होंने कहा, “ऐसे प्रयासों के लिए कम धन मुहैया कराया जा रहा है और इस वजह से शांति बहाली आयोग (पीस बिल्डिंग कमीशन) की क्षमता बेहद संकुचित हो रही है।”

शांति बहाली आयोग और इसके वित्त पोषण के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की सालाना बहस में तन्मय लाल ने कहा कि संघर्षो को रोकने के लिए शांति बहाली के प्रयासों में निवेश एक लंबी प्रक्रिया है, लेकिन ‘वार्षिक शांति अभियानों के लिए शांति बहाली आयोग के वित्त पोषण में एक फीसदी की भी बढ़ोतरी पर कोई सहमति नहीं है।’

फिलहाल शांति अभियानों का सालाना बजट 7.87 अरब डालर का है।

लाल ने कहा, “बीते साल सितंबर में वित्त पोषण के लिए हुई मंत्रिस्तरीय कांफ्रेंस में निर्धारित 30 करोड़ डालर के लक्ष्य का केवल आधा ही निकाला जा सका, जबकि निर्धारित लक्ष्य को अगले तीन साल तक शांति अभियानों को चलाए रखने के लिए न्यूनतम राशि बताया गया था।”

भारत 2006 में शांति बहाली कोष के शुरू होने के बाद से स्वेच्छा से इसे पचास लाख डालर दे चुका है। उसने दस लाख डालर पिछले साल दिए।

लाल ने कहा कि संघर्षो की प्रकृति बदल गई है। अब यह राष्ट्रों के अंदर के विभिन्न समूहों के बीच अधिक हो रहे हैं। साथ ही इनमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क के गैर राजकीय तत्व (नान स्टेट एक्टर्स) भी शामिल हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, “एक-दूसरे पर निर्भर आज के विश्व में, किसी भी हिस्से में होने वाला संघर्ष ऐसे आतंकी नेटवर्क या बड़े पैमाने पर शरणार्थियों के आवागमन से और अधिक व्यापक प्रभाव छोड़ता है। इसलिए शांति को बनाए रखने में हम सभी का साझा हित है।”

लाल ने कहा, “इस संदर्भ में, संघर्ष रोकने और प्रभावी शांति बहाली के प्रयासों के लिए सतत विकास, समावेशी आर्थिक विकास और राजनैतिक प्रक्रियाओं के महत्व को साफ पहचाना जा सकता है।”

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