LT EXCLUSIVE : इंदिरा गांधी ने दिया धोखा, गोद ली हुई बेटी आज भी मांग रही भीख

इंदिरा गांधीसुनील सोनी

नई दिल्ली। नारायणपुर कांड हुए एक-एक कर करीब 37 साल बीत गए हैं। इन वर्षों में राजनीति के कई रंग चढते- उतरते रहे, लेकिन इस कांड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी द्वारा गोद ली गई सोनकलिया व जयप्रकाश के जिंदगी से गरीबी, लाचारी व बेबसी का रंग कभी नहीं उतरा वह अनाथ के अनाथ ही रह गए। स्व.इंदिरा गांधी की बेटी सोनकलिया आज भी एक जर्जर खपरैल के घर में दयनीय व बेबसी की जिंदगी काट रही है।

 ये है सोनकलिया व जयप्रकाश की कहानी

करीब 37 वर्ष पूर्व  1980 में प्रदेश में जनता पार्टी का शासन था। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बनारसी दास काबिज थे और कुशीनगर जनपद देवरिया जिले का हिस्सा था। कप्तानगंज थाने के नारायणपुर गांव में अपने पोते जयप्रकाश (8) व पौत्री सोनकलिया (6) के साथ रह रही बुजुर्ग महिला बसकाली को एक बस ने कुचल दिया और उसकी दर्दनाक मौत हो गई। नतीजतन दोनों बच्चे अनाथ हो गए। इनके पिता की मौत पहले ही हो चुकी थी और मां इन्हें छोड़कर चली गई थी। बसकाली की मौत के बाद गांव के लोग मुआवजे की मांग को लेकर हाटा- कप्तानगंज मार्ग को जाम कर दिया। लाठीचार्ज के बाद गांव में पीएसी तैनात कर दी गई। दूसरे दिन महिलाओं के साथ बलात्कार  व ग्रामीणों के साथ बर्रबरता का आरोप पीएसी व पुलिस के जवानों पर लगने के बाद मामले ने तुल पकड़ लिया। कांग्रेस पार्टी ने इसे मुद्दा बना लिया।

नारायणपुर कांड के नाम से पूरे देश में यह मामला इतना बड़ा मुद्दा बन गया कि मुख्यमंत्री बनारसी दास की सरकार बर्खास्त हो गई।

नारायणपुर कांड के बाद 7 जुलाई 1980 को गांव में आई तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अनाथ हो चुके जयप्रकाश व सोनकलिया को गोद लेने की घोषणा करते हुए कहीं थीं कि अब दोनों बच्चे मेरे साथ दिल्ली में रहेंगे और इनकी पढ़ाई व भरण- पोषण का सारा खर्च वह स्वयं उठाएंगी।

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इस घोषणा के बाद खूब तालियां बजी थी। स्व. इंदिरा गांधी दिल्ली जाकर राजनीति में व्यस्त हो गई और स्थानीय कांग्रेसी नेता फोटो खिंचवाने के बाद इन बच्चों को भूल गए। फलत: दोनों बच्चे अनाथ के अनाथ ही रह गए।

दोनों बच्चे भीख मांगकर जीवन बीताने लगे। एक दिन जयप्रकाश की मौत पोखरे में डूबने से हो गई और आदमियों के जंगल में सोनकलिया अकेली रह गई। बहरहाल भीख मांगते- मांगते सोनकलिया बड़ी हुई तो किसी तरह से शादी कर ली। करीब 43 वर्ष की हो चुकी स्व. इंदिरा गांधी की गोद ली हुई यह बेटी नारायणपुर गांव में ही जर्रजर खपरैल की मकान में दयनीय हालत में रह रही है। पति मजदूरी कर लाता है तो रोटी मिल जाती है वरना फांकाकसी के सहारे रात बीत जाती है। दबंगों ने इसकी भूमि पर कब्जा कर लिया है।

नारायणपुर कांड को झेलने वाले गांव के बुजुर्ग सोनकलिया की दयनीय स्थिति से मर्माहत है। उन्हें इस बात का मलाल है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी जैसी बड़ी नेता अपने वादे को भूल गई।

उन्हें झूठा वादा नहीं करना चाहिए था। कुल मिलाकर आज सोनकलिया की दयनीय हालत की चिंता न कांग्रेस पार्टी को है न ही हुक्मरानों को।

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