आरटीपीसीआर रिपोर्ट निगेटिव होने पर भी कोरोना संक्रमित मिल रहे मरीज

क्या रैपिड एंटीजन टेस्ट और आरटी-पीसीआर टेस्ट में निगेटिव होने को बाद भी आप कोविड-19 पॉजिटिव हो सकते हैं? देश के विभिन्न शहरों से सामने आ रहे ऐसे कई मरीज हैं जिनकी रिपोर्ट चौंकाने वाली है। मरीजों की रिपोर्ट तो निगेटिव है लेकिन हालत गंभीर होने की वजह से उनका हाई रेजोल्यूशन सीटी(HRCT) किया जा रहा है। जिसके बाद फेफड़ों में कोरोना की पुष्टि हो रही है।

वहीं वड़ोदरा नगर निगम ने इसे देखते हुए महामारी रोग अधिनियम के तहत आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि आरटीपीसीआर में निगेटिव मिले बीमार मरीजों को बीमा कंपनियां या थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर कोविड मरीज की तरह ही माने।
नए स्ट्रेन के मरीजों में एचआरसीटी व लैब की जांच वारयस की पुष्टि कर सकते हैं। जब तक कोई भी बीमारी न पता चले तब तक कोविड के दावे को माना जाए। देश के कई शहरों में डॉक्टर इस प्रकार के मामले आने की पुष्टि कर रहे हैं। इसी के साथ रेडियोलॉजिकल जांच में पुष्टि होने पर मरीजों को कोविड-19 का इलाज दे रहे हैं।

वहीं कोरोना से ठीक होने वाले हर तीसरे इंसान को लंब समय तक दिमागी या स्नायुतंत्र से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं ज्यादातर लोग घबराहट और अवसाद के शिकार हो रहे हैं।
एक शोध के अनुसार 2 लाख से ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य पर नजर रखी गयी। लैंसेट साइकिएट्री में छपे अध्ययन के अनुसार संक्रमण के 6 माह में 34 फीसदी लोगों ने मनोवैज्ञानिक या स्नायुतंत्र से जुड़ी बीमारियों का इलाज करवाया। वहीं संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों में आठ माह बाद 10 मे से किसी एक व्यक्ति में दोबारा कोरोना के गंभीर लक्षण मिले। यह खुलासा वैज्ञानिक ने एख चिकित्सीय अध्ययन में किया है। इसी के साथ कहा है कि इसका सीधा निगेटिव असर लोगों के सामाजिक औऱ निजी जीवन पर पड़ रहा है।

वहीं मेडिकल जर्नल जामा में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों को पता चला है कि लंबे समय तक रहने वाले लक्षणों में स्वाद और सुगंध खोने के अलावा थकान, बदनदर्द जैसी दिक्कतें भी होती है।

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