आरटीआई के अमल में नौकरशाही का रवैया बाधक : हामिद अंसारी

आरटीआई लखनऊ। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि आरटीआई यानी सूचना के अधिकार से भ्रष्टाचार और जवाबदेही में सकारात्मक बदलाव आया है। आरटीआई एक्ट के अमल में नौकरशाही की गोपनीयता को बढ़ावा देने वाली मानसिकता बाधक है। सूचना मांगने वालों को डराया-धमकाया जाता है। उन्होंने सूचना मांगने वालों को प्रोत्साहित करने और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने पर जोर दिया।

हामिद अंसारी सोमवार को गोमतीनगर में राज्य सूचना आयोग के नवनिर्मित आरटीआई भवन के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा, सूचना के अधिकार को औपचारिक मान्यता मिलना महत्वपूर्ण घटना थी।

आरटीआई से खत्‍म होगा भ्रष्‍टाचार

आरटीआई को शासन के सभी स्तरों पर पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए साधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। मीडिया और सिविल सोसाइटी सकारात्मक बदलाव के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। सूचना का अधिकार लोकतंत्र को मजबूत बनाता है।

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इसका प्रभाव नागरिकों को सशक्त और सरकार को ज्यादा क्रियाशील बनाने में हुआ है। आरटीआई की धमकी मात्र से सरकारी मशीनरी काम करने को तत्पर हो जाती है। कहा कि आरटीआई एक्ट के अमल में नौकरशाही की मानसिकता और गोपनीयता को बढ़ावा देने वाला रवैया बाधक है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त जागरूकता की कमी और सूचना के प्रबंधन व प्रसार के लिए समुचित प्रणाली का विकसित न होना भी इसके प्रभावी अमल में बाधा है। प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी ने आयोग के कामकाज की जानकारी दी। सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट ने सभी का आभार जताया।

उपराष्ट्रपति ने कहा, हमारी न्यायपालिका ने आरटीआई एक्ट-2005 से बहुत पहले ही इसकी दिशा तय कर दी थी। उप्र राज्य बनाम राजनारायण के केस में जस्टिस मैथ्यू ने 1975 में अपने निर्णय में कहा था कि सरकारी अधिकारियों को अपने आचरण के लिए जिम्मेदार होना ही चाहिए जिसमें गोपनीयता तो हो सकती है लेकिन नगण्य।

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इस देश की जनता को सरकार के प्रत्येक कृत्य और अधिकारियों द्वारा सरकारी तौर पर की जाने वाली प्रत्येक बात को जानने का अधिकार है। इसके बाद कुछ और फैसले आए जिससे आरटीआई ने व्यापक जनांदोलन का रूप ले लिया और अक्तूबर 2005 में मौजूदा अधिनियम लागू हुआ।

यह आजादी के बाद भारत में पारित सबसे सशक्त और प्रगतिशील कानून है। भारत के आरटीआई एक्ट को दुनिया के सर्वोत्तम कानूनों में माना जाता है। इसे लागू करने का ट्रैक रिकॉर्ड उत्कृष्ट है।

हामिद ने कहा, आरटीआई से पहले शासकीय गोपनीयता अधिनियम-1923 के तहत सीमित सूचनाएं देने का अधिकार था। सरकारी कामकाज में गोपनीयता और अपारदर्शिता हमें अंग्रेजों से विरासत में मिली।

यह कानून इस तरह बनाया गया कि लोगों को सरकारी गतिविधियों की जानकारी मिलती ही नहीं थी। आरटीआई एक्ट दूसरे अधिनियमों से अलग है। इसमें लागूकर्ता नागरिक हैं और सरकार को उनके निर्देश के मुताबिक कार्य करना होता है। यह नई स्थिति है। प्रशासकों को इसे स्वीकार करने की आदत डालनी चाहिए।

इस एक्ट का एक और महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि सूचना मांगने वालों को इसकी आवश्यकता साबित करने की जरूरत नहीं है। इससे एक्टिविस्ट और सिविल सोसाइटी के संगठनों को वंचित लोगों से जुड़े मुद्दे उठाने में मदद मिलती है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग, महिलाएं और दलित सूचनाएं मांगने में काफी पीछे हैं। 2012-13 में कुल आवेदनों में 14 फीसदी ही ग्रामीण क्षेत्रों से थे। महिलाओं की संख्या भी बहुत कम है।

हामिद अंसारी ने कहा, आरटीआई अधिनियम की धारा 25 के अधीन आरटीआई रिटर्न जमा कराने वालों की सूची में भारत सरकार के केवल 2030 प्राधिकारी दर्ज हैं। इनमें केवल 75 फीसदी ने ही वार्षिक आरटीआई रिटर्न दाखिल किया है।

राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि आरटीआई के बाद से सरकारी कामकाज में पारदर्शिता आ रही है। इसे और गति देने की जरूरत है। मौखिक आदेश कम हो रहे हैं लेकिन पत्रावली की रफ्तार धीमी पड़ी है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ यह कानून वरदान सिद्ध होगा लेकिन, कुछ लोग इसका दुरुपयोग भी कर रहे हैं। ऐसे स्वार्थी लोगों ने एक जमात खड़ी कर ली है। यह सोचने की जरूरत है कि ऐसे लोगों के लिए क्या किया जाए।

सीएम अखिलेश यादव ने उम्मीद जताई कि इस भवन का निर्माण हो जाने के बाद काम को जल्दी निपटाने का माहौल बनेगा। कहा, आरटीआई एक्ट के बाद पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ रही है। लोगों को जानकारी मिलने से गवर्नेंस में लाभ मिलता है। तकनीक में बदलाव के दौर में इस एक्ट का महत्व और बढ़ गया है।

 

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