खाते में कितना भी जमा हो डरने की कोई बात नहीं, आयकर विभाग नहीं करेगा किसी पर कार्रवाई!
लखनऊ। आयकर विभाग के अधिकारी और कर्मचारी एक साल से काम के बोझ से बेहाल हैं। बिना किसी छुट्टी के लगातार काम की वजह से लोग बीमार पड़ने लगे हैं। काम का बोझ तीन गुना हो गया है और स्टाफ की संख्या जरूरत के हिसाब से आधी है। काम करने लायक माहौल तैयार न करने के विरोध में आयकर अधिकारियों ने 15 तारीख से छापे और सव्रे के बहिष्कार का फैसला ले लिया है, जिसपर अंतिम मुहर 15 फरवरी को लगेगी।
आयकर विभाग के अधिकारियों और स्टाफ का कहना है कि पिछले बजट से अबतक उन्हें जरा सी भी फुर्सत नहीं मिली है। आयकर अधिकारियों का कहना है कि काम का बोझ बढ़ता जा रहा है लेकिन सुविधाओं पर मंत्रालय कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। स्टाफ के पास लैपटाप नहीं हैं। रात को बारह बजे बुला लिया जाता है लेकिन दफ्तरों में बैठने की जगह नहीं है।
आयकर विभाग नहीं करेगा किसी पर कार्रवाई, काम के बोझ से हैं बेहाल
फील्ड में मुख्य रूप से आयकर अधिकारी, असिस्टेंट कमिश्नर (एसी) और डिप्टी कमिश्नर (डीसी) ही विशेष रूप से सक्रिय रहते हैं। इसके बावजूद आईटीओ कैडर में 20 फीसदी स्टाफ कम है। एसी और डीसी कैडर में भी 20 फीसदी स्टाफ कम है। स्टाफ कैडर में तो 50 फीसदी स्टाफ कम है। कानपुर रीजन में आयकर अधिकारी से लेकर कमिश्नर रैंक तक के अधिकारियों की संख्या करीब 100 है। कानपुर में कुल स्टाफ की संख्या लगभग 500 है।
पिछले साल जून में इनकम डिस्क्लोजर स्कीम लांच की गई जो पूरे चार महीने रही। इस दौरान कमिश्नर रैंक के अफसरों को भी बाजार-बाजार घूमना पड़ा। बजट 28 फरवरी की जगह एक फरवरी को पेश किया गया। एसेसमेंट का पीरियड मार्च से घटाकर दिसम्बर कर दिया। इसी तरह आडिट की तारीख बढ़ा दी गई। नोटबंदी चुनौती बनकर उभरी।
एक तरफ बैंकों में जमा धन की छानबीन विभाग कर रहा है दूसरी ओर आयकर निदेशालय जांच व आपराधिक अन्वेषण के पास बेनामी संपत्तियों की खोज का काम है। नोटबंदी के बाद बैंकों में लाखों रुपए जमा करने वालों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना पेश की गई। इस योजना के तहत धन घोषित करने के लिए दबाव बनाएं।
चुनाव ने रहीसही कसर पूरी कर दी है। 50 हजार से ज्यादा कैश लेकर चलने पर रोक के बाद पूछताछ का जिम्मा आयकर निदेशालय जांच को दिया है। छोटी-छोटी पकड़ में आयकर अधिकारी भागते रहते हैं।
यही रहा तो बीमार होने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जाएगी। बुनियादी सुविधाएं दिए बगैर लगातार काम का बोझ कई गुना लादना सरासर गलत है। 15 की बैठक में बहिष्कार की घोषणा की जाएगी। -अरविन्द त्रिवेदी, महासचिव आयकर राजपत्रित अधिकारी महासंघ