3 और 13 के फेर में फंसी मोदी सरकार, ‘दामाद’ को मिली खुली छूट!

आयकर विभाग अहमदाबाद। गुजरात के कारोबारी महेश शाह जिस नाटकीय अंदाज में आयकर विभाग के हत्थे चढ़े थे, उस नाटक को आयकर विभाग बदस्तूर जारी रखे हुए है। महेश शाह की गिरफ्तारी के बाद भी आयकर विभाग कोई जानकारी नहीं दे पा रहा है।

महेश शाह ने स्वैच्छिक घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत 13 हजार करोड़ रुपए घोषित किए थे। शनिवार 3 दिसंबर की देर शाम शाह के एक चैनल पर सामने आने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

महेश शाह ने 30 सितंबर की रात साढ़े ग्यारह बजे 13860 करोड़ रुपये का डिस्क्लोजर किया था, वो भी आईडीएस स्कीम बंद होने के आधे घंटे पहले।

कारोबारी महेश शाह ने गिरफ्तारी के बाद कहा था कि उनके परिवार और उनके करीबी दोस्तों को इसमें न घसीटें। उनका इन पैसों से कोई लेनादेना नहीं है। महेश शाह बार-बार कहते दिखे थे कि वे आयकर विभाग के सामने सारी सच्चाई खोलेंगे। वे वहां ये भी बताएंगे कि ये पैसे किन लोगों के हैं।

महेश शाह की गिरफ्तारी के बाद खुद आयकर विभाग की भूमिका संदेह के घेरे में है। कल रात दस बजे से आज सुबह दस बजे तक लगातार बारह घंटे महेश शाह से पूछताछ की। इसके बाद भी आयकर विभाग यह नहीं बता पा रहा कि आखिर महेश शाह के पीछे वो कौन से प्रभावी लोग हैं, जिन्होंने अपने काले धन को उससे उजागर करवाने की योजना बनाई थी।

इस मामले में आज सुबह दस बजे के करीब गुजरात में आयकर विभाग के सबसे बड़े अधिकारी पी सी मोदी जब मीडिया से मुखातिब हुए, तो उनका जवाब टालमटोल भरा था। मोदी ने बताया गया कि महेश शाह से आंशिक पूछताछ हुई है और उसे जाने दिया गया है। कल ग्यारह बजे महेश शाह को फिर बुलाया है।

इस मामले में खुद आयकर विभाग पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। आम आदमी से आयकर चुकाने के मामले में हजार-दो हजार रुपये की भी गलती हो जाए, तो आयकर विभाग उससे सख्ती से निपटता है।

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आयकर विभाग 13860 की ब्लैकमनी कबूलने वाले गुजरात के कारोबारी के बारे में गहराई से जानने को इच्छुक क्यों नहीं है। वो भी तब जबकि महेश शाह ये कह रहा है कि इतनी बड़ी रकम उसकी न होकर कुछ प्रभावशाली नेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों की है।

आईडीएस स्कीम के तहत बाहर आने वाले काले धन का करीब बीस फीसदी हिस्सा जिस शख्स महेश शाह के जरिये सामने आने वाला था, उसके मामले में आयकर विभाग ढिलाई क्यों बरत रहा है। यह भी आरोप लग रहे हैं कि आय‍कर विभाग उनका ख्‍याल अपने ‘दामाद’ की तरह रख रहा है।

आयकर विभाग महेश शाह पर कोई दबाव नहीं बना रहे, बल्कि उसे वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहे हैं। खुद आईटी विभाग के गुजरात के सर्वोच्च अधिकारी ने साफ किया कि पूछताछ के दौरान महेश शाह के भोजन और स्वास्थ्य का पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

विभाग अगर ने अभी तक कोई पुलिस केस नहीं किया है। आयकर कानून के प्रावधानों के तहत विभाग के अधिकारी के सामने गलतबयानी करना अपराध है। आयकर कानून के तहत आयकर अधिकारी के आगे दिये गये बयान का उतना ही महत्व है, जितना कि किसी न्यायिक मजिस्ट्रेट के आगे कही गई बात का। फिर महेश शाह के मामले में केस करने में आयकर विभाग क्यों हिचक रहा है।

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