आप के 21 विधायकों पर फैसला 17 अक्‍टूबर को

नई दिल्ली। भारतीय चुनाव आयोग(ईसीआई) ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) के 21 विधायकों को 17 अक्टूबर तक यह बताने का समय दिया है कि संसदीय सचिव नियुक्त होने के बाद उन्हें विधानसभा से अयोग्य करार क्यों नहीं दे दिया जाए?

21 विधायकों

आप के 21 विधायक संसदीय सचिव के रूप में कथित ‘लाभ के पद’ पर रहने को लेकर दिल्ली विधानसभा की सदस्यता से अयोग्यता की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।

ईसीआई ने सोमवार को जारी नोटिस में याचिकाकर्ता प्रशांत पटेल को आप के 21 विधायकों के जवाब के साथ 21 अक्टूबर तक प्रत्युत्तर (रिज्वाइंडर) देने को भी कहा है।

आप के इन विधायकों ने इससे पहले चुनाव आयोग को अपना जवाब देने के लिए और समय देने के लिए पत्र लिखा था जिसके बाद आयोग ने जवाब के लिए 17 अक्टूबर तक समय बढ़ा दिया था।

नोटिस में कहा गया है, “यह ज्ञातव्य है कि यदि दिए गए समय में कोई जवाब नहीं मिलता तो यह माना जाएगा कि आपको इस बारे में कुछ नहीं कहना है और आयोग आपसे आगे कोई जिक्र किए बगैर उचित कार्रवाई करेगा।”

फरवरी 2015 में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार ने पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया था। सरकार का कहना था कि इससे सरकार के काम करने में आसानी होगी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सितंबर में 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया।

वर्ष 2015 के जून में इस मुद्दे को लेकर एक बड़ा विवाद ‘लाभ के पद’ को लेकर तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने दिल्ली सरकार के उस विधेयक को खारिज कर दिया जिसमें संसदीय सचिव को ‘लाभ के पद’ की परिभाषा के दायरे से बाहर रखा गया था।

दिल्ली सरकार ने इस विधेयक के जरिये दिल्ली मेंबर्स ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली (रिमूवल ऑफ डिसक्वालिफिकेशन) एक्ट 1997 में एक संशोधन विधेयक पेश किया ताकि संसदीय सचिवों को लाभ के पद की परिभाषा के दायरे से अलग किया जा सके।

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