कैंसर और अपंगता को हराकर बने पहले व्हीलचेयर बॉडीबिल्डर
कभी-कभी जिंदगी भी ऐसा खेल खेलती है कि इंसान उसके आगे घुटने टेक ही देता है। यह किसी उपन्यास कि लाइन नहीं है बल्कि जीवन की सच्चाई है। क्या आपने कभी उन लोगों को देखा है जो शारीरिक रूप से अपंग है। यदि देखा है, तो आपको उनकी इस दशा पर दया भी आयी होगी। पर ज्यादातर लोग बस यह ही कह कर उन्हें नज़रंदाज़ कर देते हैं कि क्या कर सकते है भगवान के आगे कहाँ किसी का जोर चलता है। पर आज हम जिस इंसान के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, वो हैं पंजाब से ताल्लुक रखने वाले जांबाज आनंद अर्नाल्ड । इन्होंने विकलांग होने के बावजूद खुद को सम्भाला और निखारा कि लोग उन्हें देख कर हैरत में पड़ जाते हैं।
आनंद अर्नाल्ड नहीं पड़े कमजोर
उन्होंने कभी भी अपनी विकलांगता को न तो अपनी कमजोरी बनने दिया और न ही उसे अपने जीवन पर हावी होने दिया। यहां तक कि मात्र 15 वर्ष की आयु में जानलेवा रीढ़ की हड्डी के कैंसर (स्पाइनल कैंसर) से पीडि़त होने के बाद भी उन्होंने अपनी उम्मीद के सपनों को धूमिल नहीं होने दिया। इस जानलेवा बीमारी से उबरने के बाद उनका गर्दन से नीचे का पूरा शरीर लकवाग्रस्त स्थिति में आ गया था।
28 साल के आनंद अर्नाल्ड उस वक्त व्हीलचेयर पर ही जीवन गुजारने को मजबूर हो गये थे। ऐसी हालत में वह निराश नहीं हुए उन्होंने कसरत करनी प्रारंभ की। उनका शरीर ईलाज के चलते पहले से ही कमजोरी की स्थिति में था लेकिन वह उनका इतनी आसानी से हार न मानने का जज्बा ही था जिसने उन्हें आगे बढ़ने में मदद की। अगर हम घटनाक्रम को तेजी से आगे बढ़ाएं, तो इंडियाटाईम्स के मुताबिक वर्तमान में वे 3 मिस्टर इंडिया खिताब और 12 बार मिस्टर पंजाब का खिताब अपने नाम करने के अलावा कुल 27 खिताब अपने नाम कर चुके हैं।
आज आनंद मसल मेनिया के प्रमुख चेहरा होने के अलावा न्यूट्रीशियन सप्लीमेंट कंपनी के ब्रांड अंबेसडर है और साथ ही कुछ लोकप्रिय एक्शन खिलौनों की एक पूरी श्रृंखला के लिये माॅडल की भूमिका भी निभा रहे हैं। यूके की मेट्रो न्यूज़ की वेबसाइट के मुताबिक आनंद के पिता प्रिंस अर्नाल्ड अपने बेटे की उपलब्धियों से काफी खुश और गर्वांवित हैं और कहते हैं, ‘‘निश्चित रूप से जिस भी पिता का ऐसा पुत्र होगा वह उसपर गर्व महसूस करेगा। मुझे भी अपने बेटे पर नाज है।’’