आधार के नए नियमों को तोड़ा तो होगी 10 साल की जेल, कहीं अनजानें में आप भी तो नहीं कर रह ऐसा

नई दिल्ली। आधार कार्ड को लेकर सरकार कुछ नियमों में संशोधन करने जा रही है। कहा जा रहा है इस बदलाव से टेलीकॉम कंपनियों और बैंक तक आधार के डेटा की पहुंच बनी रहेगी।

सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले के बाद ये जरूरी हो गया था। सरकार ने मोबाइल नंबर तथा बैंक खातों को जैविक पहचान वाले आधार कार्ड से स्वैच्छिक रूप से जोड़ने को कानूनी जामा पहनाने की पहल की। इसके तहत आधार से संबंधित दो कानूनों में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने के प्रस्तावों को सोमवार मंजूरी दी गयी। सूत्रों ने यहां इसकी जानकारी दी।

इसके तहत टेलीग्राफ अधिनियम को संशोधित किया जा रहा है। इससे आधार के जरिये सिमकार्ड जारी करने को वैधानिक समर्थन मिलेगा। इसी तरह मनी लांडरिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन से बैंक खातों से आधार को जोड़ने का मार्ग प्रशस्त होगा। इनके अलावा सरकार ने आधार की सूचनाओं में सेंध लगाने की कोशिश पर 10 साल तक की जेल का प्रस्ताव दिया है। अभी इसके लिये तीन साल की जेल का प्रावधान है।

सूत्रों ने कहा कि परिजनों द्वारा आधार पंजीयन कराये गये बच्चों के पास 18 साल के हो जाने के बाद आधार के डेटाबेस से अपनी सूचनाएं हटवाने की सुविधा का भी प्रस्ताव है। इसके अलावा क्यूआर कोड के जरिए भी वैरिफिकेशन हो सकेगा। सिविल मुकदमें में 1 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी लगाई जा सकती है।

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उन अधिनियमों को संशोधित किया जाएगा ताकि नया मोबाइल नंबर लेने या बैंक खाता खोलने के लिये ग्राहक स्वेच्छा से 12 अंकों वाली आधार संख्या को साझा कर सकें। उच्चतम न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया था। यह धारा सिम तथा बैंक खाता के साथ आधार को जोड़ना अनिवार्य बनाती थी।

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