आज योगी के लिए लखनऊ में बहेगी दूध की नदी, 96 साल पुराना इतिहास आया याद

योगीलखनऊ। उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ आज लखनऊ के 5 कालिदास मार्ग पर सीएम हाउस जाएंगे। वे गोरखपुर के अपने मठ को छोड़कर सीएम हाउस में कामकाज शुरू करेंगे। इसके लिए योगी के नए आवास पर शुद्धिकरण होगा।

गोरक्षमठ की देशी गायों के 11 लीटर दूध से रुद्राभिषेक और हवन-पूजन होगा। इसके लिए बाल पुरोहितों का दल रविवार रात गोरखपुर से 11 लीटर कच्चे दूध के साथ लखनऊ के लिए रवाना हो गया।

ये तैयारियां इसलिए की जा रही हैं, ताकि योगी तुरंत कामकाज शुरू कर सकें। लेकिन वे तुरंत पूरी तरह से सीएम हाउस शिफ्ट होंगे या नहीं, इस पर सस्पेंस है।

योगी के शपथ ग्रहण समारोह के बाद गृह प्रवेश की तैयारियों का मैसेज गोरक्षपीठ को भेजा गया। इसके बाद रुद्राभिषेक और हवन-पूजन के लिए गौशाला सेवा केंद्र की 5 देशी गायों से दूध निकाला गया। इस दूध को हेड खानसामा के पास सुरक्षित रखने के लिए भेज दिया गया है।

रविवार देर रात में पुरोहितों के साथ सात अन्य बाल शास्त्रियों का दल इसे लेकर लखनऊ रवाना हुआ। योगी आदित्यनाथ की गैर मौजूदगी में पूरे मंदिर का मैनेजमेंट देखने वाले द्वारिका तिवारी ने इसकी पुष्टि की।

योगी आदित्यनाथ अब सिर्फ गोरखनाथ मठ के महंत ही नहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं। यह शायद पहला मौका है, जब किसी धार्मिक स्थल का प्रमुख किसी राज्य का मुख्यमंत्री भी है। पर इसकी नींव आज से 96 साल पहले रख दी गई थी।

1921 में गोरखनाथ मठ के महंत दिग्विजय नाथ ने कांग्रेस में शामिल होकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। अंग्रेजों ने चौरी-चौरा मामले में उन्हें गिरफ्तार भी किया था। ब्रिटिश पुलिसकर्मियों के साथ हुई जिस झड़प के बाद लोगों ने थाने में आग लगा दी थी, महंत दिग्विजय पर उस भीड़ में शामिल होने का आरोप लगा था। वैसे, महंत दिग्विजय और कांग्रेस का साथ 16 साल का ही रहा था।

महंत दिग्विजय 1937 में हिंदू महासभा में शामिल हो गए। उन्होंने आजादी के बाद राम जन्मभूमि मामले को जोर-शोर से उठाया। 1967 में हिंदू महासभा के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था।

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