आज का पंचांग, आप का दिन मंगलमय हो, दिनांक -07 अक्टूबर, 2016, दिन- शुक्रवार
शुक्रवार के दिन तेल मर्दन (मालिश) करने से विपत्ति होती है। (मुहूर्तगणपति)
शुक्रवार के दिन क्षौरकर्म (बाल – दाढी काटने या कटवाने) काटने से लाभ और यश की प्राप्ति होती है। (महाभारत अनुशासन पर्व)
विक्रम संवत् – 2073
संवत्सर – सौम्य तदुपरि साधारण
शक – 1938
अयन – दक्षिणायन
गोल – दक्षिण
ऋतु – शरद
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि– षष्ठी दिन 03:02 बजे तक तदुपरान्त सप्तमी।
नक्षत्र– ज्येष्ठा दिन 11:21 बजे तक तदुपरान्त मूल।
योग– सौभाग्य अपराह्न 06:08 बजे तक तदुपरान्त शोभन।
दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा और नैऋत्यकोण का दिशाशूल होता है यदि यात्रा अत्यन्त आवश्यक हो तो जौ का सेवनकर प्रस्थान करें।
राहुकाल (अशुभ) – दिन 10:30 बजे से 12:00 बजे तक।
सूर्योदय – प्रातः 06:10।
सूर्यास्त – सायं 05:50।
पर्व त्यौहार– कात्यायनी देवी दर्शन और पूजन, बिलवाभिमंत्रण,
षष्ठी को नीम के सेवन या नीम की दातून करने से पुण्य क्षीण होता है, सप्तमी को ताड़ का फल खाने से शरीरनाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्मा खण्ड)
नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ करना चाहिए।
अगर दुर्गासप्तशती का पाठ न कर सके तो “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मन्त्र का कम् से कम 108 बार जप अवश्य करें।
प्रत्येक नवरात्रि में यज्ञपवीत नये धारण करना चाहिए।
नवरात्रि में दन्त साफ करने के व्रस बदल देने चाहिये।
नवरात्रि में नौ दिन का व्रत रखने वालों को दाढ़ी-मूंछ और बाल नहीं कटवाने चाहिए ।
नौ दिनों तक नाखून नहीं काटने चाहिए ।
इस दौरान खाने में प्याज, लहसुन और निरामिष ( नॉन वेज) बिल्कुल न खाएं ।
नौ दिन का व्रत रखने वालों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए ।
व्रत रखने वाले लोगों को बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग जैसी चमड़े की चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ।
व्रत में नौ दिनों तक खाने में अनाज और नमक का सेवन नहीं करना चाहिए ।
खाने में दूध , कुट्टू का आटा, समारी के चावल, सिंघाड़े का आटा, सेंधा नमक, फल, आलू, मेवे, मूंगफली खा सकते हैं ।
विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि व्रत के समय दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और शारीरिक संबंध बनाने से भी व्रत का फल नहीं मिलता है ।
यदि कोई पूरे नवरात्र के उपवास न कर सकता हो तो प्रतिपदा , सप्तमी, अष्टमी और नवमी – तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह नवरात्र के उपवास के फल को प्राप्त करता है ।
नवरात्र पर जागरण
नवरात्र पर उत्तम जागरण वह है, जिसमें
(1) शास्त्र-अनुसार चर्चा हो ।
(2) दीपक हो ।
(3) भक्तिभाव से युक्त माँ का कीर्तन हो ।
(4) वाद्य, ताल आदि से युक्त सात्त्विक संगीत हो ।
(5) प्रसन्नता हो ।
(6) सात्त्विक नृत्य हो, ऐसा नहीं कि डिस्को या अन्य कोई पाश्चात्य नृत्य किया ।
(7) माँ जगदम्बा पर नजर हो, ऐसा नहीं कि किसीको गंदी नजर से देखें ।
नवरात्र का व्रत सभी मनुष्यों को नियमित तौर पर करना ही चाहिये । जिससे घर में सुख, शांति, बरकत व मधुरता आती है । आध्यात्मिकता का प्रादुर्भाव होता है । घर की बाधाएँ व क्लेश दूर होते हैं । अपने जीवन में व्यक्तित्व और चरित्र के निर्माण होता है । आपसी जीवन में प्रेम और समन्वय बढ़ता है ।
मुहूर्त-
शारदीय नवरात्रि का वर्णन–
इस वर्ष का शारदीय नवरात्रि पूरे 10 दिन का है।
7 अक्टूबर 2016 दिन शुक्रवार-कात्यायनी देवी दर्शन।
8 अक्टूबर 2016 दिन शनिवार – कालरात्रि देवी दर्शन।
9 अक्टूबर 2016 दिन रविवार -महाष्टमी व्रत, अन्नपूर्णा देवी दर्शन।
10 अक्टूबर 2016 दिन सोमवार- सिद्धिदात्री देवी दर्शन, नवमी का हवन, बलिदान और पूजन।
11 अक्टूबर 2016 दिन मंगलवार- नवरात्रि व्रत की पारणा , विजय दशमी।
लाइव गुरु : बिपिन पाण्डेय