आखिर क्यों पूजा में इस्तेमाल किया जाता है गेंदे का फूल, क्या है खासियत

मंदिरों में या फिर किसी अन्य जगह पूजा आयोजनों में गेंदे के फूल और उनकी मालाओं का उपयोग होता है. यहां तक कि घर में भी जब कोई धार्मिक कार्य आयोजित किया जाता है तो गेंदे के फूल से बनी मालाएं ही लाई जाती हैं. हालांकि गुलाब के फूल भी पूजा में इस्तेमाल होते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा में गेंदे के फूलों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है.

दरअसल इसका जवाब पौराणिक गाथाओं में उपलब्ध है. गेंदे के फूल केसरिया रंग के होते हैं जो कि त्याग और मोह-माय से दूरी को दर्शाते हैं. इनकी सबसे बड़ी खास बात यह है कि गेंदे के फूल मनुष्य के अहंकार को कम से कम कर देता है.

आपस में जुड़े रहना

गेंदे के फूल की अनगिनत पत्तियां एक ही बीज के सहारे आपस में जुड़ी रहती हैं, जो कि अपने आप में एक हैरानी की बात है. यह व्यक्ति को अच्छे नेता के गुण भी बताता है कि कैसे एक अच्छा नेता हजारों लोगों को अपने साथ रखकर, अपने साथ जोड़कर चल सकता है.

एक छोटी सी पत्ती के सहारे उग जाना

अन्य जितने भी फूल हैं, उन सभी में गेंदे का फूल एकमात्र ऐसा फूल है जो अपनी एक छोटी सी पत्ती के सहारे भी बढ़ या उग जाता है. यह आत्मा की खासियत को दर्शाता है कि कैसे आत्मा कभी नहीं मरती वह बस शरीर बदलती है और अलग-अलग रूपों में फिर जिंदा हो जाती है.

दरवाजे के बाहर लटकाना शुभ 

गेंदे के फूलों की तोरन या वंदनवार मुख्य दरवाजे के बाहर लटकाना भी शुभ माना जाता है. मान्यता है कि गेंदे के फूल नकारात्मकता को रोकने में सहायक होते हैं. घर के बाहर इन्हें लटकाने से आप इन बुरी ऊर्जाओं से मुक्ति पा सकते हैं.

 सुगंध कायम रहती है

गेंदे के फूल की पत्तियां जब पूरी तरह मुर्झा जाती हैं, तब भी उनकी सुगंध रहती है. यह उस स्थिति को दर्शाती हैं जब हम पूरी तरह टूट चुके होते हैं लेकिन आपना धीरज नहीं खोते.

गेंदे के पौधे को एक औषधीय पौधा माना जाता है. आयुर्वेद में इसका काफी प्रचलन है. यही कारण है कि जिस तरह से शरीर से कीटाणुओं को दूर करने के लिए औषधि का प्रयोग किया जाता है ठीक उसी प्रकार घर से नकारात्मकता को दूर करने के लिए गेंदे के फूल का इस्तेमाल किया जाता है.

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