आखिर कहां था पुलिस का खूफिया तंत्र, क्या नहीं था आंकलन कहां देने जा रहे हैं दबिश

कानपुर में विकास दुबे को पकड़ने गयी यूपी पुलिस की टीम में से 8 पुलिसकर्मियों(1 डीएसपी स्तर का अधिकारी, 3 सब इंस्पेक्टर, 4 सिपाही) ने अपनी जान गवां दी है। कानपुर के बिकरू गांव में पुलिस जिस विकास दुबे को पकड़ने गयी थी उसका आपराधिक इतिहास काफी लंबा रहा है। इसी के साथ उसे गांव में पुलिस की भारी टीम पहुंचने की सूचना मिल गयी थी जिसके चलते ही गांव में घुसने वाले रास्ते पर जेसीबी खड़ी कर दी गयी थी। इसी के साथ मनबढ़ बदमाशों ने घरों की छतों से फायरिंग की और पुलिसकर्मियों के मृत होने पर उनके हथियार लूटकर फरार हो गये।

घटना के बाद भले ही वहां एसटीएफ की तैनाती कर दी गयी है औऱ कई बड़े अधिकारी वहां पहुंच रहे हैं। लेकिन घटना को लेकर सवाल उठता है कि जिस दौरान पुलिस दबिश से पहले गांव के रास्ते पर जेसीबी खड़ा कर रहे थे उस समय स्थानीय खुफिया तंत्र(LIU) कहां था। इसी के साथ रातोरात जेसीबी रास्ते पर खड़ी हो गयी और भारी संख्या में असलहा विकास दुबे के पास पहुंच रहा था तो खुफिया विभाग कहा था।

सवाल यह भी खड़े होते हैं कि जिस विकास दुबे के घर दबिश देने पुलिस टीम पहुंची हुई थी वह पहले ही अपने मनबढ़ हौसलों की पहचान करवा चुका था। आलम यह था कि तकरीबन 19 वर्षों के अभी तक के आपराधिक इतिहास के कार्यकाल में उसके घर पुलिस कई बार पहले भी दबिश देने पहुंची थी। तकरीबन प्रत्येक बार पुलिस के दांत खट्टे कर बदमाशों ने भेज दिये थे। इतना ही नहीं पुलिस को यह अंदाजा क्यों नहीं था कि जिस समय विकास दुबे की गिरफ्तारी की दबिश के लिए पुलिस गयी थी उसने थाने में एक राज्यमंत्री की हत्या की थी और उसके खिलाफ पुलिसकर्मियों तक ने गवाही नहीं दी थी। इसी के साथ कथिततौर पर उसने पहले भी एक डीएसपी को कमरे में बंदकर मारा था।

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