आखिरी पल में आईपीएफटी ने किया बंद से इन्कार, जाने कैसे हो गया ऐसा…

अगरतला| त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब से मुलाकात के बाद सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी इंडीजीनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) पार्टी ने बुधवार को आहूत बंद को स्थगित कर दिया। आईपीएफटी के प्रवक्ता ने यहां बुधवार को यह जानकारी दी।

आईपीएफटी ने किया बंद से इन्कार

उन्होंने कहा कि हालांकि, वे अलग जनजातीय बहुल राज्य बनाने की अपनी दशकों पुरानी मांग और त्रिपुरा में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पेश करने को लेकर अगले सप्ताह दिल्ली में प्रस्तावित धरना प्रदर्शन के साथ आगे बढ़ेंगे।

आईपीएफटी के प्रवक्ता व सहायक महासचिव मंगल देबबर्मा ने आईएएनएस को बताया, “मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब, उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा और हमारी पार्टी के शीर्ष नेताओं के बीच हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद हमने पिछली रात (मंगलवार को) बंद को स्थगित करने का फैसला किया।”

पार्टी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राजस्व मंत्री और आईपीएफटी अध्यक्ष नरेंद्र चंद्र देबबर्मा ने किया था।

देबबर्मा ने कहा, “हालांकि, हम अगले सप्ताह दिल्ली में धरना प्रदर्शन करने को लेकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पार्टी की मांगों पर प्रकाश डालने के लिए एक ज्ञापन सौंपने को लेकर अडिग हैं।”
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आईपीएफटी (एक जनजातीय आधारित पार्टी) ने इससे पहले अपने आंदोलन के हिस्से के रूप में बुधवार को त्रिपुरा आदिवासी क्षेत्र स्वशासी जिला परिषद (टीटीएएडीसी) में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया था।

मंगल देबबर्मा ने मीडिया को बताया था, “आईपीएफटी और इसके सात फ्रंटल संगठनों ने पार्टी की लंबी लंबित मांगों के समर्थन में टीटीएएडीसी क्षेत्रों में बुधवार को बंद का आह्वान किया है।”

अन्य मांगों में त्रिपुरा में एनआरसी की शुरुआत, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 को वापस लेना, टीटीएएडीसी क्षेत्रों में आंतरिक लाइन परमिट की शुरुआत और संविधान की 8वीं अनुसूची में जनजातियों की कोकबोरोक भाषा को शामिल करना शामिल है।

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