इस्लाम के हांथों बिक गया यह देश, स्कूलों की जगह होंगे मदरसे ही मदरसे!

सऊदी अरबनई दिल्ली। मालदीव अपने एक आइलैंड का स्वामित्व सऊदी अरब को देने की योजना बना रहा है। मालदीव इंडियन ओशन में पड़ोसी है, लिहाजा इस फैसले से भारत के सामने सुरक्षा से जुड़ी एक नई चुनौती खड़ी हो सकती है। हालांकि मालदीव के विपक्ष ने सरकार के इस फैसले का पुरजोर विरोध किया है। विपक्ष का मानना है कि इस फैसले के बाद यहां वहाबी सोच को बढ़ावा मिलेगा और देश के स्कूल मदरसों में तब्‍दील हो जाएंगे।

एमडीपी के मुताबिक देश के 26 आइलैंड्स में से एक फाफू को सऊदी अरब को बेचने का फैसला घातक साबित हो सकता है। पार्टी का मानना है कि इससे देश में वहाबी सोच को बढ़ावा मिलेगा।

खबर के मुताबिक सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज अल सऊद जल्द ही मालदीव दौरे पर जाने वाले हैं।

एमडीपी के मेंबर और पूर्व विदेश मंत्री अहमद नसीम ने कहा कि सरकार ने यह जानना भी जरूरी नहीं समझा कि सरकार के इस फैसले पर लोगो की राय क्‍या है।

एमडीपी के मुताबिक, “सऊदी अरब मालदीव में 300 स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देता है। यहां की 70% आबादी वहाबी पंथ अपना चुकी है। प्रेसिडेंट अब्दुल्ला यामीन सऊदी अरब से इस्लामिक टीचर्स लाना चाहते हैं। फैसला स्कूलों को मदरसों में बदल देगा।”

भारत के पड़ोस में मालदीव इकलौता ऐसा देश है, जहां जाने से नरेंद्र मोदी पीएम बनने के बाद से अब तक परहेज करते नजर आए हैं।

भारत मालदीव के अंदरूनी मामलों से खुद को अलग रखने की कोशिश करता रहा है। हालांकि, अब भारत को मालदीव पर कोई साफ रुख तय करना होगा, क्योंकि वहां अगले साल चुनाव हो सकते हैं।

पहले जमीन बेचने पर मिलती थी मौत

मालदीव में पहले जमीन बेचने वाले को गद्दार की संज्ञा दी जाती थी। इसके लिए मौत की सजा दी जाती थी।

साल 2015 में मालदीव की सरकार ने संविधान में संशोधन किया, जिसके बाद वहां विदेशियों का जमीन खरीदना मुमकिन हो सका।

 

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