अवध विश्वविद्यालय में 1500 करोड़ के घोटाले के आरोपों में घिरे कुलपति

लखनऊ। एक महीने से फ़ैजाबाद के डाॅॅ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जीसी जायसवाल के खिलाफ चल रहा संघर्ष आज राजधानी पहुंंच गया। विश्वविद्यालय कोर्ट के सदस्यों ने प्रेस वार्ता में कुलपति पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये। राजभवन को भेजी गयी तमाम शिकायतों पर कार्यवाही न होने के बाद अब शिक्षक और छात्र सड़क पर उतरने का मूड बना चुके हैं।

अवध विश्वविद्यालय

अवध विश्वविद्यालय के कुलपति पर आरोप

संघर्ष समिति सदस्यों ने आरोप लगाया कि कुलपति ने राज्यपाल एवं हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद कोर्ट का गठन ही नहींं होने दिया। मनमाने ढंग से सरकारी धन का बंदरबाट किया है। विश्वविद्यालय का वार्षिक बजट लगभग 500 करोड़ रुपए का होता है। कुलपति ने विगत ढाई साल में 1500 करोड़ रुपए मनमाने ढंग से खर्च कर दिये हैंं।

कुलपति हटाओ अवध विश्वविद्यालय बचाओ संघर्ष समिति के बैनर पर प्रेस क्लब में हुयी इस प्रेस वार्ता में कोर्ट सदस्य सुधीर द्विवेदी ने कहा कि प्रो जायसवाल के कार्यकाल में पुस्तकालय के लिए बिना किसी शिक्षक से बात किए हुए 16 करोड़ रुपए की अनुपयोगी पुस्तकेंं खरीद ली गयी हैं। इसका सप्लायर भी कुलपति का नजदीकी एक ही व्यक्ति है।

दिवेदी ने आरोप लगाया कि अवध विश्वविद्यालय की परीक्षाओं हेतु उत्तरपुस्तिकाओं की आपूर्ति में विश्वविद्यालय ने विगत लगभग 15 वर्षों में 70 से 80 करोड़ रुपए खर्च किए हैं और आश्चर्य यह है कि यहाँ भी एक ही आपूर्तिकर्ता उत्तरपुस्तिकाओं की आपूर्ति कर रहा है। विश्वविद्यालय उपयोग के बाद जब इन उत्तरपुस्तिकाओं की नीलामी करता है तो इनकी संख्या में 60 से 80 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है।

फैजाबाद के प्रबुद्ध नागरिक अतुल सिंह ने आरोप लगाया कि सीपीएमटी 2016 के दौरान कुलपति ने अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपने नाम एकल खाता खुलवाकर गम्मीर अनियमितता की। उस खाते में विश्वविद्यालय के खाते से 15 करोड़ रुपए स्थानान्तरित किए और फिर पावर आफ अटार्नी के माध्यम से एक शिक्षक के हस्ताक्षर से तीन करोड़ रुपए निकाल कर खर्च कर दिये गए। उन्होंने इस मामले के खुलासे के लिए जांंच की मांग की।

पूर्व छात्र नेता और कोर्ट सदस्य ओम प्रकाश सिंह ने परीक्षाओंं के दौरान परीक्षा केन्द्रोंं को निरस्त कर पुनः बहाली कर करोड़ों रुपए का खेल करने का दावा किया। उन्होंने कहा कि परीक्षा के दौरान नकल के नाम पर पहले तो परीक्षा केन्द्र निरस्त किए गये। जब उन केन्द्रोंं से मनोवांछित धनउगाही हो गयी तो रातोंरात उनके केन्द्र बहाल कर दिए गये और यही नही और भी केन्द्रों को उनसे सम्बद्ध कर दिया गया।

समिति ने आरोप लगाया कि प्रति परीक्षा केन्द्र दो लाख रुपए की दर से लगभग 600 परीक्षा केन्द्रों से 12 करोड़ रुपए वसूले गए हैं। कोर्ट सदस्यों का कहना है कि विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक कुलसचिव के रहते हुए कुलपति नें उपकुलसचिव के माध्यम से सम्बद्धता की पत्रावलियों का निस्तारण पूर्णतया लेन देन के आधार पर किया। 350 महाविद्यालयों को अस्थायी सम्बद्धता प्रदान की गयी जबकि शासनादेश में तीन साल की सम्बद्धता का प्राविधान है।

समिति के सदस्यों ने यह भी आरोप लगाये कि कुलपति के नियमविरुद्ध कार्यों का विरोध करने वाले शिक्षकोंं का उत्पीडन भी किया जा रहा है। शिक्षकों एवं अन्य पर दर्जनोंं फर्जी मुकदमे दर्ज कराए गए तथा पुलिस जांच में लगभग सभी मुकदमे फर्जी पाए गये। शिक्षक संघ के महामंत्री डा. प्रदीप सिह, डा. एस.पी. सिंह एवं 11 अन्य शिक्षक, डा. विनोद कुमार चौधरी के खिलाफ कुलपति ने मुकदमा दर्ज कराया। मगर बाद में पुलिस द्वारा जांच में तथ्यहीन एवं फर्जी पाया।

आरोप है कि अवध विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर डा. अजय प्रताप सिंह के खिलाफ भी फर्जी मुकदमा पंजीकृत करा दिया है। संघर्ष समिति ने कहा कि यदि उनके आरोपों की जांच राजभवन नहीं कराता तो मुख्यमंत्री के संज्ञान में इन शिकायतों को लाया जाएगा और फैजाबाद से लखनऊ तक सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया जाएगा।

LIVE TV