बड़ा मंगल : कौमी एकता की मिसाल है अलीगंज हनुमान मंदिर

अलीगंज हनुमान मंदिरलखनऊ| बड़ा मंगल ज्येष्‍ठ माह के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। लखनऊ में तो यह पर्व बहुत हर्ष उल्लास से मनाते हैं। विशेष कर हनुमान भक्त तो साल भर इस पर्व की प्रतीक्षा करते हैं। इस दिन लोग अलीगंज हनुमान मंदिर जाते हैं। दर्शन करते हैं, पूजा करते हैं, प्रसाद चढ़ाते हैं, बहुत बड़े पैमाने पर भण्डारे इत्यादि का आयोजन किया जाता है| चारोंं ओर बस हनुमान जी का ही बोलबाला रहता है, विशेषकर लखनऊ व आसपास के क्षेत्रों में तो हर सड़क, गली मोहल्ले में आप हनुमान जी के भक्तो में हर्ष उल्लास देख सकते हैं| परन्तु क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी से सम्बंधित इस महापर्व (बड़ा मंगल) का प्रारम्भ कब और कैसे हुआ और किसने इसकी नींव डाली?

अलीगंज हनुमान मंदिर

आइये हम आपको इसका इतिहास बताते हैं। एक रात अवध के शिया नवाब शुजा-उद-दौला की पत्नी आलिया बेगम के स्वप्न में हनुमान जी स्वयं प्रकट हुए और उन्हें निर्देश दिया कि अमुक स्थान पर धरती मे मेरी मूर्ति दफ़न है उसे निकालो, बेगम आलिया ने हनुमान जी द्वारा चिन्हित स्थान पर खुदाई प्रारम्भ करवाई बहुत देर हो गयी| परन्तु हनुमान जी की मूर्ति नहीं निकली और वहां उपस्थित सुन्नी मुसलमान दबी ज़बान में बेगम साहिबा का मज़ाक उड़ाने लगे| परन्तु बेगम साहिबा तनिक भी विचलित नहीं हुई उन्होंने हाथ जोड़कर हनुमान जी से प्रार्थना की कि आप ही के आदेश पर मैंने खुदाई शुरू करवाई है अब मेरे साथ साथ आपकी इज़्ज़त भी दाव पर लगी है| बेगम साहिबा की प्रार्थना पूरी भी नहीं हुई थी कि जय हनुमान के नारे लगने लगे| हनुमान जी की मूर्ति प्रकट हो चुकी थी, बेगम आलिया की आँखों में श्रद्धा के आंसू थे|

बेगम आलिया ने आदेश देकर एक हाथी मंगाया और उसकी पीठ पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर आदेश दिया कि हाथी को आज़ाद छोड़ दो| अब जहाँ यह हाथी रुक जायगा वहीं हनुमान जी का मंदिर बनाया जाएगा| क्योकि यह सम्पूर्ण अवध हनुमान जी की मिल्कियत है और उनका मंदिर कहाँ बनाया जाए, इसका निर्धारण स्वयं हनुमान जी करेंगे|

यह हाथी अलीगंज में एक स्थान पर जाकर रुक गया और बेगम साहिबा ने उसी स्थान पर मंदिर निर्माण करवाकर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर दी| बेगम आलिया ने इसी हनुमान मंदिर में मंगलवार को पुत्र रत्न की मन्नत मानी जिसे हनुमान जी ने पूरा किया और बेगम आलिया को मंगलवार ही के दिन पुत्र नवाब सआदत अली खां द्वितीय पैदा हुआ, जिसेे बेगम आलिया प्यार से ‘मिर्ज़ा मंगलू’ बुलाती थीं| यहीं से बड़े मंगल पर्व का प्रारम्भ हुआ और आज तक भक्तों की मन्नतें पूरी हो रही हैं|

शिया नवाबों पर हनुमान जी की कृपा यहीं नहीं रुकी बल्कि जब भी आवश्यकता हुई हनुमान जी संकटमोचक बने। आगे चलकर जब अवध के शिया नवाब मोहम्मद अली शाह का पुत्र घातक रूप से बीमार हुआ और सारे हकीमों ने जवाब दे दिया तो नवाब साहब की पत्नी बेगम राबिया अपने बीमार पुत्र को लेकर इसी हनुमान मंदिर में पहुंची| पुजारी जी के कहने पर रात भर के लिए अपने पुत्र को हनुमान जी की शरण में छोड़ दिया| अगले दिन सुबह जब सब लोग मदिर पहुंचे तो नवाब साहब का पुत्र चमत्कारिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हो चुका था| इस प्रकार शिया रियासत में चारों ओर हनुमान जी के नाम का जयकारा गूंज उठा और बड़े मंगल को शिया नवाबों द्वारा विराट रूप प्रदान किया गया जो आज भी उसी उत्साह से जारी है और लोगों की मन्नतें पूरी हो रही हैं|

शिया नवाबों पर हनुमान जी की कृपा आगे भी जारी रही और शिया नवाबों ने भी अपनी श्रद्धा में कमी नहीं आने दी| नवाब शुजा-उद-दौला व अन्य शिया नवाबों ने अवध प्रांत में जगह जगह कई मंदिर निर्मित करवाए| इनमें अयोध्या का विश्वविख्यात हनुमान गढ़ी मंदिर भी शामिल है|  उनके बाद के शिया नवाबों ने भी योगदान जारी रखा|

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