अमेरिका के राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की कोशिश…

डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग चलाने की पूरी कोशिस की जा रही हैं। वहीं देखा जाए तो डोनाल्ड ट्रंप के खिलफ जांच के आदेश दिए जा रहे हैं।

 

 

खबरो की माने तो महाभियोग एक तरह की जांच है जिसके जरिए अमेरिकी कांग्रेस राष्ट्रपति को हटाया जा सकता है। ये दो चरणों में होने वाली प्रक्रिया है जिसे कांग्रेस के दो सदन अंजाम देते हैं। इसमें महाभियोग पहला चरण है और राजनीतिक प्रक्रिया दूसरा चरण है। पहले चरण में निचला सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स के नेता राष्ट्रपति पर लगे आरोपों को देखते हैं और तय करते हैं कि राष्ट्रपति पर औपचरिक तौर पर आरोप लगाएंगे या नहीं।

 

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जहां इसे कहा जाता है, ‘महाभियोग के आरोपों की जांच आगे बढ़ाना’ कहा जाता है।इसके बाद ऊपरी सदन, सीनेट इस मामले को आगे बढ़ाते हुए जांच करता है कि राष्ट्रपति दोषी हैं या नहीं। अगर वो दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें पद छोडऩा होता है और उनकी जगह उप राष्ट्रपति को कार्यभार संभालते हैं।

लेकिन निचले सदन यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग पास हो सकता है। लेकिन सीनेट में इसे पास कराने के लिए दो तिहाई बहुमत की जरूरत होती है और यहां रिपब्लिकन का भारी बहुमत है। डोनाल्ड ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के ही हैं।

अमेरिका के इतिहास में केवल दो राष्ट्रपतियों के खिलाफ महाभियोग लाया गया है। 1886 में एंड्रयू जॉनसन और 1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ महाभियोग लाया गया था, लेकिन उन्हें पद से हटाया नहीं जा सका। 1974 में राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन पर अपने एक विरोधी की जासूसी करने का आरोप लगा था। इसे वॉटरगेट स्कैंडल का नाम दिया गया था। लेकिन महाभियोग चलाने से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया था क्योंकि उन्हें पता था कि मामला सीनेट तक पहुंचेगा और उन्हें इस्तीफा देना पड़ सकता है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर अपने अगला राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए एक प्रतिद्वंदी के खिलाफ साजिश का आरोप लगाया गया है। ट्रंप पर आरोप है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेन्स्की के साथ फोन पर हुई इस बातचीत में उन्होंने जेलेन्स्की पर दबाव डाला कि वो जो बाइडन और उनके बेटे के खिलाफभ्रष्टाचार के दावों की जांच करवाएं।

वहीं ट्रंप का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और उन्होंने महाभियोग की जांच को ‘दुर्भावना से प्रेरित’ बताया है। व्हाइट हाउस ने भी इस जांच में सहयोग करने से इनकार कर दिया है। वैसे, ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली लाखों डॉलर की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी है। ट्रंप ने स्पष्ट कह दिया है कि ये पैसा तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक यूक्रेन उनके विरोधी के बारे में जांच शुरू नहीं करता। हालांकि, व्हाइट हाऊस ने इससे इनकार किया है।

दरअसल ये जांच नेताओं के छोटे-छोटे समूह यानी समितियां करेंगी। हर एक समिति को इस मामले से जुड़े किसी एक चीज को समझने में महारत हासिल है जैसे कि विदेशी मामलों की समिति, आर्थिक मामलों की समिति और न्याय की समिति।

लेकिन इस मामले में सार्वजनिक तौर पर गवाहों को भी बुलाया जाएगा और राष्ट्रपति के वकीलों को इस पूरी प्रक्रिया में हिस्सा लेने का हक हासिल होगा। अगर समिति ये तय करती है कि राष्ट्रपति के खिलाफ आरोप तय किए जाएं तो इस पर सदन के सदस्य मतदान करेंगे।

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