अमेठी में आस्था पर भारी पड़ी गंदगी, घाट पर हो रहा अंतिम संस्कार

रिपोर्ट:-लोकेश त्रिपाठी/AMETHI

कहा जाता है कि आस्था पर सवाल नहीं खड़े किए जाते  लेकिन कुछ ऐसे सवाल होते हैं जो आस्था पर भी भारी पड़ जाते हैं। ऐसा ही एक मामला अमेठी में आज देखने को मिला है। देश और प्रदेश भर में विख्यात अमेठी जिले के संग्रामपुर ब्लॉक क्षेत्र के टीकरमाफी में स्थित स्वामी परमहंस महाराज आश्रम परिसर जिसकी चर्चा एवं गुणगान स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाषण में कर चुके हैं ।

जब वह मार्च 2019 में अमेठी पहुंचे थे तो अपने भाषण के दौरान सबसे पहले उन्होंने इसी तपोभूमि की धरती से अपना उद्बोधन शुरू किया था। आज उसी तपोभूमि से जो तस्वीर सामने आई है वह बेहद चौकाने वाली है और उसने आश्रम प्रशासन को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। दरअसल यहां आश्रम के भोजनालय के पास एक गाय अज्ञात कारणों से मर गई। आश्रम प्रशासन की लापरवाही ये कि किसी ने उस बेजुबान जानवर का अंतिम संस्कार करना उचित नही समझा, नतीजा ये हुआ की मरी हुई गाय को कुत्ते नोंच-नोंच कर खाते रहे।

घाट पर गंदगी का अंबार

अमेठी जनपद के संग्रामपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत टीकरमाफी स्थित स्वामी परमाहंस महाराज के आश्रम में प्रत्येक मंगलवार को मेला लगता है। जिसमें भारी जनसैलाब के रूप में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं। इसी के साथ जिनकी मुरादे भी पूरी हो जाती हैं वह लोग यहां पहुंचकर प्रसाद वितरण भी कराते हैं। इस आश्रम परिसर में  गौशाला बनाई गई है जिसमें तमाम गाय रहती है  उन्हीं गायों में से एक गाय की आज  अज्ञात कारणों से मौत हो गई।

इसी बीच जब दर्शनार्थी यहां पर पहुंचना शुरू हुए तो उन्होंने देखा की आश्रम के भोजनालय के ठीक सामने एक गाय मरी हुई पड़ी है जिसे कुत्ते अपना निवाला बना रहे थे और नोच नोच कर खा रहे थे।इस पर प्रत्यक्षदर्शी रंजीत यादव ने  बताया कि हम यहां श्री स्वामी परमहंस आश्रम पर दर्शन करने आए हैं। हम जब यहां पर आए तो हमने देखा कि जहां पर भोजनालय है और प्रसाद बन रहा है वहीं पर एक गाय मरी हुई है। और कुत्ते उसे नोच नोच कर खा रहे हैं तो देखा भोजनालय जहां प्रसाद बन रहा है। दुर्गंध बहुत आ रही है और इसकी शिकायत महाराज से भी की गई है ।

जिस पर महाराज बोले कि अभी उसको मैं हटवा देता हूं और जब यहां पर कार्यकर्ता से जब मैंने बात की कि भाई आप इसको उठाइए उसको कुत्ते नोच रहे हैं उन लोगों का यह जवाब था कि ये उनका (कुत्तों का) भोजन है। उनकी यह बात मेरी समझ में नहीं आई बाकी इन लोगों को खुद ही सोचना चाहिए कि यह आश्रम है और लोगों की श्रद्धा यहां से जुड़ी हुई है । इस गाय को कुत्ते ऐसे नोच नोच कर खा रहे हैं यह अच्छी बात नहीं है।

इस बाबत आश्रम में माली का काम करने वाले मोहनलाल से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि गाय मरी थी। हम सुबह इसको देखे थे। महाराज देखे और कहे हैं कि मेला है। मेला हट जाए तो हटवाएगे।

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इस पूरे प्रकरण पर जब आश्रम के के पुजारी स्वामी दिनेश आनंद से बात की गई तो उन्होंने बताया कि गाय अभी दस मिनट पहले ही गाय मरी है। यह कहने वाले लोग सिर्फ प्रपंच करते हैं वह कभी से कह रहे थे हम वहीं बैठे हुए हम वहीं बैठे हुए हैं उसको हम हटवा रहे हैं आज मेला है और इसी मेले की भीड़ के कारण अभी तक हट नहीं पाई है। इसकी शिकायत हमने किसी भी अधिकारी से नहीं की है।

फिलहाल गाय की मौत का कारण चाहे कुछ भी हो । कहते हैं कि जिंदगी और मौत किसी के बस में नहीं होती है । लेकिन इस तरह से मठ मंदिर अथवा जो भी सार्वजनिक स्थल है जहां पर लोग श्रद्धा और आस्था लेकर जाते हैं। ऐसे स्थानों पर जहां गौ सेवा के लिए गौशाला में बनाई गई हो ऐसी जगहों पर इस तरह खुले में और वह भी सबसे बड़ी बात तो यह है कि भोजनालय जो कि आदर्श भोजनालय कहा जाता है उसके ठीक सामने मृत हुई गाय कुत्ते का निवाला बन रही है।

यह कहीं ना कहीं लोगों की आस्था और श्रद्धा के साथ खिलवाड़ दिखाई पड़ रहा है । क्योंकि हिंदू धर्म में गो माता की संज्ञा दी गई है और वह भी सिद्ध पीठ पर इस तरह का कृत्य/लापरवाही कहीं ना कहीं अपने पीछे बड़ा सवाल खड़े कर रही है। आश्रम प्रशासन को स्वयं ही इसका उचित निस्तारण कर देना चाहिए था अन्यथा प्रशासन को अवगत कराते हुए मृत गाय का संचित निस्तारण करा देना चाहिए था।

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