अमित शाह ने कश्मीर समस्या के लिए नेहरू को दोष दिया

नई दिल्ली। लोकसभा ने शुक्रवार को जम्मू एवं कश्मीर में अन्य छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन को विस्तार की मांग वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी और अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) से लगे इलाकों में रह रहे लोगों के फायदे के लिए आरक्षण विधेयक को भी मंजूरी दे दी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भरोसा दिया कि सरकार का कानून व व्यवस्था पर पूरा नियंत्रण है और कहा कि चुनाव आयोग जब कभी भी कहेगा, जम्मू एवं कश्मीर में चुनाव कराए जाएंगे।

अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहे लोगों को आरक्षण लाभ देने वाले लोकसभा में पेश अमित शाह के पहले विधेयक के साथ सदन ने जम्मू एवं कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के विस्तार का भी एक संवैधानिक प्रस्ताव पारित किया।

इस मौके पर अमित शाह ने पिछली कांग्रेस सरकारों पर हमला करते हुए कहा कि 1970 के दशक तक राज्य के एक के बाद एक चुनावों को लेकर जम्मू एवं कश्मीर में लोगों का विश्वास कम हुआ और यह ‘मजाक बनकर रह’ गया।

उन्होंने केंद्रीय शासन पर आपत्तियों को भी यह कह कर खारिज कर दिया कि अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) को अतीत में 132 बार लगाया गया है जिसमें 93 बार कांग्रेस सरकारों द्वारा ऐसा किया गया।

इससे पहले प्रस्ताव को पेश करते हुए अमित शाह ने कहा था कि चुनाव साल के अंत के पहले नहीं कराए जा सकते, ऐसा कई कारणों की वजह है। इसमें रमजान का महीना, 15 अगस्त तक होने वाली आगामी अमरनाथ यात्रा व बकरवाल समुदाय के अक्टूबर तक ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में रहना शामिल है। बकरवाल समुदाय राज्य की कुल जनसंख्या का 10 फीसदी है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्र जम्मू एवं कश्मीर में पंडित जवाहरलाल नेहरू की ऐतिहासिक गलती की कीमत चुका रहा है। वह उन आरोपों का जवाब दे रहे थे, जिसमें कहा गया था कि मोदी शासन के तहत जम्मू एवं कश्मीर के लोगों में अविश्वास बढ़ रहा है।

शाह ने कहा कि मोदी सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस का अनुसरण करती है और कहा कि कानून व व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है।

गृह मंत्री ने राज्य में हाल में हुए पंचायत चुनावों का हवाला देते हुए अपनी बात का समर्थन किया और दावा किया कि 40,000 चुने हुए प्रतिनिधि गांवों में लोगों के लिए काम कर रहे हैं।

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अमित शाह ने कहा कि राज्य में पंचायत चुनाव और लोकसभा चुनाव दोनों में बिना खून-खराबे के कराए गए और राज्य में पहली बार राजनीतिक सत्ता ‘परिवारों’ (क्षेत्रीय संगठनों नेशनल कांफ्रेंस व पीपुल डेमोक्रेटिक पार्टी) के चंगुल से बाहर निकली है।

विपक्ष द्वारा लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव नहीं कराए जाने के सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि सभी उम्मीदवारों को सुरक्षा दे पाना संभव नहीं है।

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