अब कर्ज लेना होगा आसान, आरबीआई ने की रेपो रेट में कटौती ऐसे होगा फायदा

मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गुरुवार को प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में वाणिज्यिक बैंकों के लिए 25 आधार अंकों की कटौती की। इस तरह प्रमुख ब्याज दर यानी रेपो रेट अब 5.75 फीसदी हो गई है। इससे आवास व ऑटो कर्ज सस्ते होंगे।

इस साल रेपो रेट में तीसरी बार कटौती की गई है। आरबीआई ने अप्रैल ने अपने प्रमुख ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की कटौती की थी, जिसके बाद यह 6 फीसदी हो गया था। इससे पहले फरवरी में एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) ने 25 बीपीएस की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो रेट 6.25 फीसदी थी।

इसके अलावा, आरबीआई ने मौद्रिक नीति के रुख को तटस्थ से नरम बनाया है। इस तरह के कदम की अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आरबीआई ने 2019-20 में अपनी विकास दर का अनुमान घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है।

इसके अतिरिक्त आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि बैंक इसका लाभ तेजी से ग्राहकों तक पहुंचाएं।

प्रमुख दरों में कटौती के बाद बैंक द्वारा ग्राहकों को इसका पूरा-पूरा फायदा हस्तांतरित हस्तांतरण नहीं होने से ग्राहकों को प्रमुख दरों में कटौती के बाद भी उच्च ईएमआई चुकाना पड़ता है और कॉर्पोरेट्स को भी उच्च दर पर अपने कर्ज का पुनर्भुगतान करना पड़ता है।

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि ऋण मुहैया करवाता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों से जमा प्राप्त करता है।

इसके अनुसार, कम रेपो या अल्पकालिक प्रमुख ब्याज दरों में कटौती होने से आगे वाणिज्यिक बैंक ऑटोमोबाइल और आवासीय ऋणों की दरों में कमी करेंगे, जिससे आगे आर्थिक विकास को रफ्तार मिलेगी।

केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने चालू वित्तवर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा बैठक में रेपो रेट में कटौती करने का फैसला लिया है।

फिलहाल, उच्च ब्याज दरें और तरलता के संकट के कारण वाहन, आवास और पूंजीगत वस्तुओं के खरीदारों की भावनाएं हतोत्साहित हैं, यहां तक कि प्रमुख संकेतकों से पता चलता है कि केवल सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में ही तेजी है।

रेपो रेट या वाणिज्यिक बैंक के अल्पकालिक कर्ज दर में कमी होने से वाहन और आवास ऋण की ब्याज लागत कम हो जाती है, जिससे इन क्षेत्रों में वृद्धि दर तेज हो जाती है।

आरबीआई के नीतिगत बयान में कहा गया, “निवेश गतिविधियों में तेज गिरावट के साथ निजी खपत की वृद्धि दर में मंदी चिंता का विषय है। मुद्रास्फीति की उच्च दर हालांकि लक्ष्य से कम है। इसलिए आरबीआई को रेपो रेट में कटौती का मौका मिला है।”

हालांकि शेयर बाजार के निवेशक रेपो दर में उम्मीद से कम कटौती होने के कारण निराश हैं। गुरुवार को सेंसेक्स 553.82 अंकों या 1.38 फीसदी की गिरावट के साथ 39,529.72 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 177.90 अंकों या 1.48 फीसदी की गिरावट के साथ 11,843.75 पर बंद हुआ।

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एचडीएफसी सिक्युरिटीज के रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जासानी ने कहा, “बाजार इस तथ्य से निराश है कि तत्काल तरलता बढ़ाने वाले उपाय नहीं किए गए, जिसे घोषित किया गया था। हालांकि आरबीआई ने एक कार्यबल का गठन किया है। लेकिन निवेशक डीएचएफएल के डिफाल्ट को देखते हुए दरों में उम्मीद से कम कटौती के कारण निराश हैं।”

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