‘डॉन’ ने खोला सीएम अखिलेश के खिलाफ मोर्चा

अफजाल अंसारीलखनऊ। समाजवादी पार्टी में विलय रद होने के बाद कौमी एकता दल के अध्‍यक्ष अफजाल अंसारी ने अखिलेश सरकार पर बड़ा हमला बोला है। अफजाल ने आरोप लगाए कि यूपी का सारा पैसा सैफई में खर्च किया जा रहा है।

अफजाल अंसारी का निशाना

अफजाल अंसारी ने विलय रद होने पर कहा कि सपा ने उन्‍हें धोखा दिया है। राज्यसभा चुनाव में हमारा इस्तेमाल कर हमसे किनारा कर लिया गया|

लखनऊ में डॉली बाग स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए अफजाल अंसारी ने आगे कहा, “नेताजी ने कहा था, बिछुड़ गए थे, चलो फिर से एक हो जाएं। लेकिन राज्यसभा चुनाव में हमारा इस्तेमाल कर हमसे किनारा कर लिया गया। हमें धोखा दिया गया।”

अफजाल ने कहा, “जब समाजवादी पार्टी के आठ से दस विधायक क्रॉस वोटिंग पर आमादा हो गए तो इसकी चिंता में इनकी मजबूरी हुई कि कौमी एकता दल का वोट हासिल किया जाए। इसके लिए पूर्व मंत्री अंबिका चौधरी से बात करवाई गई और यूपी के वरिष्ठ मंत्री बलराम यादव को मेरे घर भेजा गया। उन्होंने प्रस्ताव रखा और शिवपाल सिंह यादव से बात करवाई। कौमी एकता दल के लोगों ने प्रस्ताव मानकर सपा के पक्ष में वोट देने की बात मान ली।”

उन्होंने बताया, “दस जून को मैंने शिवपाल और 11 जून को मुलायम सिंह से मुलाकात की। नेताजी ने मतदान में समर्थन करने के लिए धन्यवाद दिया और भूली-बिसरी यादों का जिक्र करते हुए कहा कि हम बिछुड़ गए थे। साम्प्रदायिक ताकतों को रोकना है। 2017 के चुनाव में मतों का विभाजन न हो इसलिए कौमी एकता दल को सपा से मिलाया जाए।”

अफजाल ने बताया, “मैंने उनसे एक हफ्ते का समय मांगा था। इसके बाद शिवपाल यादव ने 21 तारीख को कौमी एकता दल और सपा के विलय की घोषणा कर दी। इसके बाद खबर आई कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस विलय को गलत मानते हैं। बलराम यादव को सजा के तौर पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया। फिर 25 जून को बैठक के बाद अखिलेश की जिद के आगे मुलायम सिंह को झुकना पड़ा।”

अफजाल ने कहा कि कोई भी फैसला मीडिया या समाज में लाने से पहले आपस में सहमति से होता है। यहां तो न पिता को बेटे के आदर्श का पता है और न बेटे को पिता के फैसले की कद्र है। बेचारे चाचा शिवपाल मुलायम सिंह को भगवान मानते हंै, भगवान और उनके भक्त की कोई कद्र नहीं।

उन्होंने ने कहा, “हमारे भाई मुख्तार की छवि खराब करने की कोशिश की गई। हमारे पूर्वजों ने स्वाधीनता की लड़ाई में बड़ी भूमिका निभाई है।”

उल्लेखनीय है कि विवाद की शुरुआत 21 जून को हुई, जब अफजाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का सपा में विलय हुआ था। शिवपाल यादव ने कौमी एकता दल और सपा के विलय की घोषणा की। उसके कुछ घंटे बाद ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अचानक एक बड़ा फैसला करते हुए माध्यमिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को बर्खास्त कर दिया।

इस पूरे विवाद पर शिवपाल यादव ने सफाई दी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि कौमी एकता दल, अफजाल अंसारी की पार्टी थी न कि मुख्तार अंसारी की। मुख्तार अंसारी जेल में हैं और उन्हें पार्टी में नहीं लिया गया है।

बलराम यादव की सपा सरकार से छुट्टी पर शिवपाल ने कहा था कि आखिर उनका इस्तीफा क्यों लिया गया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उनका बस इतना ही कहना था कि ये मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार है कि वह सरकार में किसे रखते हैं और किसे नहीं।

इसके बाद एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था कि मुख्तार जैसे लोगों का सपा में स्वागत नहीं है। मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद शनिवार को केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें कौएद के सपा में विलय के फैसले को रद्द कर दिया गया।

LIVE TV