अन्धविश्वास: क्या इस राज्य के विधानसभा स्पीकर बनने पर खत्म हो जाता है राजनीतिक करियर?

क्या आंध्र प्रदेश विधानसभा में स्पीकर (अध्यक्ष) की प्रतिष्ठित कुर्सी पर विराजमान होने से हर नेता बचता है? क्या अंधविश्वास की वजह से ऐसा है?  इस तेलुगुभाषी राज्य में कई नेता ज्योतिष, अंक विज्ञान और वास्तु में बहुत यकीन रखते हैं.

राज्य में ऐसा ही एक अंधविश्वास है कि जो भी नेता स्पीकर की कुर्सी पर बैठता है या तो वो अगले चुनाव में हार जाता है या फिर उसका राजनीतिक करियर मुश्किलों में फंस जाता है.

ये अंधविश्वास सिर्फ आंध्र प्रदेश से ही नहीं बल्कि तेलंगाना से भी जोड़ कर देखा जाता है. तेलंगाना विधानसभा के पहले स्पीकर मधुसूदन चारी को पिछले साल दिसंबर में हुए चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. चारी 2014 में स्पीकर बने थे लेकिन अतीत के कई नेताओं की तरह उन्हें हैरान करने वाले अनुभवों से गुज़रना पड़ा.

आंध्र प्रदेश (तेलंगाना के अलग होने से पहले) के इतिहास पर नज़र डालें तो 1982-83 में दो बार के विधायक अगरतला ईश्वरा रेड्डी को विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया था. लेकिन वो टीडीपी के संस्थापक एन टी रामाराव के खिलाफ़ चुनाव में हार गए.

इसके बाद डी श्रीपद राव, पी रामचंद्र रेड्डी और जी नारायण राव जैसे वरिष्ठ नेता भी 1985 से 1995 के बीच आंध्र विधानसभा के अध्यक्ष बने, इन सभी को भी या तो चुनाव में हार का सामना करना पड़ा या इनका राजनीतिक करियर दिक्कतों की वजह से उतार पर आ गया.

 

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आंध्र की पहली महिला स्पीकर प्रतिभा भारती ने 1999 में ये कुर्सी संभाली थी. पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रह चुकीं प्रतिभा भारती को 2004 में हुए चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा.

निजामाबाद (तेलंगाना) की राजनीति में असरदार नाम माने जाने वाले पूर्व कांग्रेस नेता के सुरेश रेड्डी को भी ऐसी स्थिति का सामना पड़ा.

2004 से 2009 के बीच रेड्डी आंध्र प्रदेश (संयुक्त) विधानसभा के अध्यक्ष रहे. लेकिन फिर उन्हें लगातार दो चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा और उनका राजनीतिक करियर ढलान पर आ गया.

सुरेश रेड्डी के बाद ये पद एन किरण रेड्डी ने संभाला था. रेड्डी ने 2009-10 के बीच स्पीकर की कुर्सी संभाली. सर्वविदित है कि 2014 में आंध्र से तेलंगाना के अलग होने के बाद रेड्डी किस तरह चुनाव हार गए.

पूर्व कांग्रेस नेता नादेंडला मनोहर, जो नेता से अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की पार्टी जनसेना में शामिल हुए, उन्हें भी स्पीकर बनने के बाद दो बार चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. मनोहर संयुक्त आंध्र प्रदेश विधानसभा के आखिरी स्पीकर थे और उन्होंने ये कुर्सी एन किरन कुमार रेड्डी से संभाली थी.

तेलंगाना विधानसभा में मनोहर की जगह मधुसूदन चारी ने ली और आंध्र विधानसभा में के शिवा प्रसाद ने ये कुर्सी संभाली. इत्तेफाक है कि इन दोनों को भी चुनाव में हार का सामना करना पड़ा.

आंध्र प्रदेश में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को शानदार कामयाबी मिली है.

पार्टी को 175 में से 151 सीट पर जीत मिली. अब जिस तरह आंध्र प्रदेश विधानसभा के स्पीकर को लेकर इतिहास रहा है, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि स्पीकर की प्रतिष्ठित कुर्सी किस विधायक को सौंपी जाती है.

 

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