अनोखे महात्मा : कंकड़-पत्थर खा कर गुज़ार रहे ज़िन्दगी, विज्ञान के लिए बड़ी चुनौती !

रिपोर्ट – लोकेश त्रिपाठी

अमेठी : आज के युग में जहां इंसान जंक फूड खाकर अपने स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है | अगर कोई व्यक्ति बीमारी में डॉक्टर के पास जाता है तो डॉक्टर उन्हें साफ पानी पीने और साफ-सुथरा भोजन करने की सलाह देते हैं |

ऐसे युग में भी एक महात्मा ऐसे हैं जिन्होंने अपने जीवन का आधा से ज्यादा समय सिर्फ नदी का पानी, कंकड़, नदी की बालू, मिट्टी खाकर बिताया है | आज यह विज्ञान के लिए एक चुनौती है |

आज न्यूज़ कवरेज के दौरान एक ऐसे संत महापुरुष से भेंट हुई जिन्होंने अपने जीवन के लगभग 100 वर्ष गोमती नदी के किनारे और पूरे देश के भ्रमण में लगा दिया |

ग्रामीणों की मानें तो उनसे देश का कोई भी तीर्थ स्थल बाकी नहीं रहा जहां वह ना गए हों | इतना ही नहीं, महात्मा जी नेपाल, भूटान, बर्मा जैसे देशों की पैदल यात्रा कर चुके हैं |

 

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लोकसभा क्षेत्र अमेठी की पावन धरती पर जन्मे संत श्री सती प्रसाद जी महाराज जो कि विज्ञान को कड़ी चुनौती दे रहे हैं |

जिन्होंने अपने जीवन का आधे से ज्यादा हिस्सा कंकड़, पत्थर, मिट्टी, बालू खाकर जीवन यापन कर रहे हैं और आज तक उनको किसी प्रकार की बीमारी व परेशानी नहीं है | वह पूर्णतया स्वस्थ हैं |

लगभग 100 वर्ष की अवस्था में आज भी दिन में एक से दो बार कंकड़-पत्थर का सेवन करते हैं | अमेठी के ग्राम सभा गौरा प्राणी पिपरी में जन्मे इस महापुरुष की अद्भुत गाथा गांव के बच्चों से लेकर बूढ़े, सभी भली भांति जानते हैं | यह अद्भुत दृश्य विज्ञान को किसी चुनौती से कम नहीं है |

 

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