अनाथालय में पले-बढ़े, लेकिन आज कर रहे है समाज की ऐसी सेवा कि लोगों में…

आगरा कॉलेज मैदान में आयोजित हो रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 65वें राष्ट्रीय अधिवेशन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शिरकत करने पहुंचे थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के इस 65वें राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन सोमवार को हो रहा था।इस 65वें राष्ट्रीय अधिवेशन में पूरे देश से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता और पदाधिकारी आए हुए थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को प्रेरणा देने के लिए महाराष्ट्र के युवा समाजसेवी सागर रेडी को मंच पर बुलाया गया था।

महाराष्ट्र के युवा समाजसेवी सागर रेडी के उद्बोधन से पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से महाराष्ट्र के युवा समाजसेवी सागर रेड्डी को प्राध्यापक यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र के युवा समाजसेवी सागर रेडी को शॉल ओढ़ाकर और एक लाख का चेक देकर सम्मानित किया।

इस दौरान महाराष्ट्र के युवा समाजसेवी सागर रेड्डी ने विषम परिस्थितियों में रहकर भी किस तरीके से काम किया। इस पूरी बात का विवरण खुद सागर रेड्डी ने मंच से अपने उद्बोधन में किया।

सागर रेडी ने कहा कि उनके पिता और माता की हत्या केवल इस बात पर हुई थी कि माँ दूसरी जाति की थी और पिता दूसरी जाति के थे। इसके बाद बचपन से ही सागर रेडडी अनाथालय में रहे और 17 साल 11 महीने बालिग होने के बाद सागर रेडी को अनाथालय से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। सागर रेड्डी अनाथालय से बाहर आए। न आधार कार्ड ना कोई कागज, यहां तक कि सागर रेडी इस बात को भी प्रमाणित नहीं कर पाते कि भारतवर्ष के ही रहने वाले हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में सागर रेड्डी फुटपाथ पर सोए। लोगों से भीख मांग कर पेट भरा और महाराष्ट्र मुंबई पहुंच गए।

महाराष्ट्र के मुंबई में सागर रेडी की मुलाकात एक व्यक्ति से हुई। जिसने सागर रेडी का न केवल पालन पोषण किया बल्कि इंजीनियर बनने का सपना पूरा कर दिया। सागर इंजीनियर बन चुके हैं और महाराष्ट्र में ही रह रहे हैं। आगे बोलते हुए सागर ने बताया कि इंजीनियर बनने के बाद वे दोबारा उसी अनाथालय पहुंचे जहां उन्होंने अपना बचपन काटा था।

युवा समाजसेवी सागर रेडी बताते हैं कि कॉलेज के दौरान उनकी मुलाकात एक महिला से हुई। महिला सामने घूंघट में थी। सागर रेड्डी महिला से मिलना चाहते थे। मगर महिला अपना चेहरा नहीं दिखा रही थी। जबरदस्ती जब महिला घूंघट उठाया तो सागर रेडी के पैरों तले जमीन खिसक गई। यह वही महिला थी जिसके पिता ने रेडी को मां बाप का प्यार दिया था और आज यह वही बहन आधी जली हुई है। उसके पति ने उसे दहेज का शिकार बनाया है। इस घटना ने उन्हें अंदर तक झकझोर कर रख दिया। जिसके बाद उन्होंने अपना पूरा जीवन समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया। इन सारी बातों को सुनते सुनते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं में कभी आंखों से आंसू आ रहे थे। साथ ही सागर के जीवनी से प्रेरणा लेते हुए एबीवीपी के कार्यकर्ताओं में जोश देखा जा रहा था।

जब सागर रेड्डी मंच से अपना उद्बोधन कर रहे थे तो नजारा पंडाल में कुछ ऐसा था। कहीं खुशी कहीं गम जैसा। यानी सागर रेडी के उद्बोधन में कभी युवा और युवतियों की आंखों से आंसू बह रहे थे तो कभी उद्बोधन के दौरान जय-जयकार भी हो रही थी।

जब बच्चे बालिग होकर अनाथालय से बाहर निकलते हैं तो युवतियां कहीं वेश्या बन जाती हैं तो युवक गुंडे बन जाते हैं लेकिन सागर रेड्डी आज समाज के लिए एक प्रेरणा है। जिन्होंने अपराधिक जीवन में कदम नही रखा और ना ही विषम परिस्थितियों से पीछे हटे। सागर रेडी इंजीनियरिंग बंद करने के बाद अब महाराष्ट्र के वरिष्ठ युवा समाजसेवी हैं। जो समाज के लिए निरंतर काम कर रहे हैं।

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को प्रेरणा देने के लिए मंच पर मौजूद महाराष्ट्र के युवा समाजसेवी ने सच का आइना दिखाया और यह साबित कर दिया है कि अगर दिल में जोश, जज्बा, उमंग और हौसला हो तो आप आसमान छू सकते हैं। महाराष्ट्र के युवा समाजसेवी सागर रेडी आज पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बनकर मंच पर खड़े हैं जिनसे सभी लोग प्रेरणा ले रहे हैं।

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