कोबाड गांधी आतंकवाद के आरोपों से बरी

अदालतनई दिल्ली| राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने नक्सली विचारक कोबाड गांधी को आतंक से जुड़े आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन धोखाधड़ी व जालसाजी के आरोपों में उन्हें दोषी ठहराया है। अदालत ने हालांकि उन्हें जितनी सजा सुनाई है, उतनी वह सितंबर 2009 से जेल में रहते हुए पहले ही काट चुके हैं। गांधी हालांकि जेल में ही रहेंगे, क्योंकि देश के विभिन्न भागों में उनके खिलाफ 14 अन्य मामले लंबित हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह ने कोबाड गांधी को गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 20 तथा 38 (प्रतिबंधित संगठन का सदस्य और उसकी गतिविधियों को आगे बढ़ाना) के तहत आरोपों से बरी कर दिया, लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत धोखाधड़ी और जालसाजी के लिए दोषी करार दिया।

अदालत में अभी 14 अन्य मामले लंबित हैं

अदालत ने उनके साथी राजेंद्र कुमार को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया, लेकिन आतंकवाद से जुड़े आरोप से उन्हें भी बरी कर दिया। पुलिस के मुताबिक, कोबाड गांधी प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नेटवर्क की दिल्ली में स्थापना करने में शामिल थे। उन्हें यहां 20 सितंबर, 2009 को गिरफ्तार कर लिया गया था, उस वक्त वे कैंसर का इलाज करा रहे थे।

पुलिस ने कहा कि वे भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए दिल्ली में रह रहे थे और इस काम में उनके सहयोगी राजेंद्र कुमार ने उनकी सहायता की। आरोप है कि गांधी व कुमार ने मिलकर गांधी को जारी मतदाता पहचान पत्र के आधार पर जालसाजी की। अदालत ने कहा, “इस मामले के तथ्यों तथा परिस्थितियों के आधार पर यूएपीए के धारा 20 तथा 38 तहत आरोपों पर अभियोजन के तर्क पर संदेह है।”

अदालत ने कहा, “यह बात सच है कि कोबाड गांधी दिल्ली में फर्जी नाम से रह रहे थे और उनके पास से फर्जी दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।” बचाव पक्ष के वकील भावुक चौहान ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल इस मामले में सात साल तक मुकदमे का सामना कर चुके हैं और उन्होंने उदारता बरतने की मांग की।

उनके साथी कुमार भी जेल में ही रहेंगे, क्योंकि कानपुर की एक अदालत में उनके खिलाफ एक अलग मुकदमा चल रहा है। अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में सफल रहा है कि कोबाड गांधी ने दिलीप कुमार के नाम से ईपीआईसी तथा पैन कार्ड जारी करने में अधिकारियों के साथ धोखाधड़ी की। राजेंद्र कुमार को 19 मार्च, 2010 को गिरफ्तार किया गया था और उसपर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।

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