अजब-गजब! प्रेग्नेंसी टेस्ट का 3500 साल पुराना नुस्खा जो बता देता था गर्भ में क्या पल रहा है?

नई दिल्ली। आज के समय में प्रेग्नेंसी टेस्ट करना बेहद आसान है। बाजार में ना जाने कितने ऐसे उकरण मौजूद है, जिनकी मदद से ये आसानी से जाना जा सकता है कि कोई महिला प्रेग्नेंट है या नहीं।

लेकिन जरा सोचिये कि इन उपकरणों के आविष्कार से पहले तक इस दिशा में जानकारी हासिल करने के लिए लोग क्या करते होंगे। क्या उस वक्त इस बारे में जानकारी हासिल करना बेहद मुश्किल था?

जानकारी के लिए बता दें ऐसा बिलकुल भी नहीं है। आपको जानकार हैरानी होगी कि आज से करीब 3500 साल पहले भी कुछ ऐसी तकनीक मौजूद थीं, जिनसे ना केवल इंसान ये पता लगा पाने में समर्थ था कि महिला प्रेग्नेंट है, बल्कि लड़का और लड़की होने की संभावना पर भी शत-प्रतिशत दावा कर दिया जाता था।

खबरों के मुताबिक़ न्यू किंगडम एरा के पैपीरस यानी लिखित दस्तावेज में इस बात का जिक्र है कि मिस्र में कई सौ साल पहले भी प्रेग्नेंसी टेस्ट किए जाते थे। इस लिखित दस्तावेज में आंखों के रोग संबंधी इलाज के बारे में भी बताया गया है।

कार्ल्सबर्ग पैपीरस कलेक्शन के प्रमुख किम रिहोल्ट के मुताबिक, प्राचीन मिस्र से जुड़े कम से कम 12 संरक्षित चिकित्सा ग्रंथ थे। हालांकि ये क्षतिग्रस्त हैं और प्राचीन लिपि में लिखे गए हैं, जिसे पढ़ना काफी मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इन चिकित्सा ग्रंथों में और भी कई चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। फिलहाल इन चिकित्सा ग्रंथों का अनुवाद करने की कोशिश की जा रही है।

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बता दें पैपीरस के मुताबिक, 1500 से 1300 ईसा पू. के बीच महिलाओं को प्रेग्नेंसी टेस्ट के लिए अपना यूरिन (पेशाब) गेहूं और जौ के एक बैग में डालना होता था। कुछ दिनों बाद फिर उस बैग को देखा जाता था। अगर गेहूं और जौ का बीज उगने लगता तो इसका मतलब होता कि महिला गर्भवती हैं और अगर कुछ भी नहीं उगता तो इसका मतलब महिला गर्भवती नहीं है।

पैपीरस में प्रेग्नेंसी के अलावा लड़की और लड़के के जन्म की पहचान के लिए भी तरीके लिखे गए हैं। उस समय अगर बैग में सिर्फ जौ उगता, तो यह समझा जाता कि लड़के के जन्म होगा और अगर गेहूं उगता तो समझा जाता कि लड़की का जन्म होगा।

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