अगर आप भी कर रहे हैं गलत दिशा में भोजन तो हो जाएं सावधान! जानिए क्या है सही स्थान…

वास्तु विज्ञान में भोजन को पकाने के साथ-साथ ही सही ढंग से भोजन ग्रहण करने के नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है। अच्छी सेहत पाने के लिए सिर्फ स्वादिष्ट और पौष्टिक भोजन कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। वास्तु नियमों के अनुसार यदि घर की सही दिशा में बैठकर भोजन किया जाए, तो इससे परि

 

 

वार के सदस्यों की सेहत अच्छी बनी रहती है, वहीं गलत दिशा में बैठकर भोजन करने से सेहत संबंधी अनेकों समस्याएं पैदा हो सकती हैं। परिवार के सभी सदस्यों की सेहत ठीक रहे, घर का वातावरण सौहार्दपूर्ण रहे, इसके लिए ज़रूरी है कि आपका डाइनिंग हॉल वास्तु नियमों के अनुरूप बना हो।

dining hall

वास्तु शास्त्र के अनुसार भोजन करने का सबसे उत्तम स्थान घर के पश्चिम में है। ऐसे में घर की पश्चिम दिशा में बना डाइनिंग हॉल शुभ प्रभाव देने वाला होता है। इस जोन में भोजन करने से भोजन संबंधी सभी आवश्यकताएं पूर्ण होती हैं एवं पोषण की प्राप्ति होती है, जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है। यदि यहां पर किसी कारण भोजन करना संभव नहीं हो तो, उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा दूसरा विकल्प है। लेकिन घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में डाइनिंग रूम नहीं होना चाहिए क्योंकि यहां भोजन करने से शरीर को किसी भी प्रकार की मज़बूती और पोषण नहीं मिलता। वहीं रिश्तों में कड़वाहट पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है।

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यदि किचन में ही खाने की व्यवस्था करनी है, तो इसका प्रबंध इस प्रकार से हो कि किचन के पश्चिमी हिस्से में डाइनिंग टेबल और कुर्सियां रखी जा सकें। यदि आपका किचन घर के उत्तर-पश्चिम कोण (वायव्य) में स्थित है, तो डाइनिंग टेबल को पश्चिमी दीवार की तरफ रखना चाहिए। लेकिन घर के दक्षिण-पूर्व कोण (आग्नेय) में स्थित किचन में डाइनिंग टेबल रखने के लिए पूर्व दिशा को उचित स्थान माना गया है।

भोजन कक्ष के सामने घर का मुख्य द्वार या शौचालय होना आपसी कलह व मानसिक कष्ट का कारण बन सकता है। शुभ फलों में वृद्धि के लिए आयताकार आकार की डाइनिंग टेबल का उपयोग करना अच्छा रहता है और इसे इस तरह रखा जाना चाहिए कि भोजन करने वालों का मुख पूर्व या पश्चिम की ओर रहे। पूर्व की ओर मुख करके भोजन करने से दीर्घायु होने की संभावना बढ़ जाती है, जबकि पश्चिम की ओर चेहरा कर खाना खाने से सेहत और संपन्नता दोनों बढ़ती है। दक्षिण की ओर मुख करना हानिकारक नहीं है, परंतु उत्तर की ओर मुख करके भोजन करना सेहत की दृष्टि से वास्तु सम्मत नहीं माना गया है।

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मध्यम प्रकाश के साथ डाइनिंग रूम की सजावट इस प्रकार से होनी चाहिए जो शांतिपूर्ण भोजन करने में सहायक हो। टीवी देखते हुए या फिर कुछ पढ़ते हुए खाने से भोजन पर से ध्यान हट जाता है, जिससे न तो भोजन के स्वाद का पता चलता है और न ही भोजन का अपेक्षित प्रभाव ग्रहण किया जा सकता है। इसलिए भोजन हमेशा जागरूकता व रूचि लेकर खाना ही हितकर है। डाइनिंग रूम में सकारात्मक ऊर्जा के स्तर में वृद्धि के लिए दीवारों का रंग हल्का, शांत व सौम्य होना चाहिए, इसके लिए हल्के नीले, हरे, पीले अथवा पीच रंगों का प्रयोग किया जा सकता है।

तामसिक रंग जैसे काला, गहरा नीला अथवा भूरे रंगों के चयन से बचें। भारी सामान एवं अत्याधिक सजावट करना डाइनिंग हॉल के वातावरण को बोझिल बना देगा। भूलकर भी ऐसी गलती न करें। डाइनिंग रूम की दीवारों पर युद्ध, शिकार, रक्तरंजित दृश्य, सूखी हुई ज़मीन व उदासी दर्शाने वाले चित्र नहीं होने चाहिए। डाइनिंग टेबल पर फलों से भरी हुई टोकरी शुभता और समृद्धि लाने में मददगार साबित होती है। अगर यह संभव नहीं हो तो दीवार पर फलों अथवा लहलाती हुई फसल की आकर्षक तस्वीर भी लगा सकते हैं।

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