अखिलेश का बड़ा फैसला, अब अकेले उतरेंगे विधानसभा उपचुनाव के मैदान में !

लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में 15 सीट जीतने वाला सपा-बसपा गठबंधन टूट गया है. बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 11 सीटों पर होने वाला उपचुनाव अकेले लड़ने का ऐलान किया है.

मायावती के बाद अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी खुलकर सामने आ गए हैं. उन्होंने कहा कि सपा उपचुनाव अकेले लड़ेगी. सपा अध्यक्ष ने कहा कि हम अपनी जमीन तैयार कर चुनाव लड़ेंगे.

इससे पहले मायावती ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि चुनाव नतीजों से साफ है कि बेस वोट भी सपा के साथ खड़ा नहीं रह सका है. सपा की यादव बाहुल्य सीटों पर भी सपा उम्मीदवार चुनाव हार गए हैं.

कन्नौज में डिंपल यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है. उन्होंने कहा कि बसपा और सपा का बेस वोट जुड़ने के बाद इन उम्मीदवारों को हारना नहीं चाहिए था.

मायावती के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अखिलेश यादव ने कहा कि गठबंधन के बारे में सोचकर विचार करेंगे, अगर रास्ते अलग हैं तो हम भी लोगों का स्वागत करेंगे.

सपा प्रमुख ने कहा कि उपचुनाव में अगर अकेले लड़ने का फैसला हुआ है, तो फिर हम भी अकेले ही चुनाव लड़ने की तैयारी करेंगे. अखिलेश यादव के इस बयान से साफ हो गया है कि सपा-बसपा की दोस्ती खत्म हो गई है.

 

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इससे पहले सोमवार को मायावती खुलकर सपा के विरोध में उतर आई थीं और उन्होंने अखिलेश यादव पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर होने वाला उपचुनाव अकेले लड़ने का भी ऐलान कर दिया था.

मायावती के ऐलान पर सोमवार को आजमगढ़ में धन्यवाद रैली में अखिलेश यादव ने पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि अभी उनको इस बारे में कुछ ठीक से पता नहीं है. जानकरी होने पर ही इस पर जवाब देंगे.

बता दें कि जिस वक्त अखिलेश यादव आजमगढ़ में रैली कर रहे थे उसी दौरान बसपा अध्यक्ष मायावती अपने सांसदों और जिलाध्यक्षों के साथ समीक्षा बैठक कर रही थीं. बैठक में मायावती सपा और अखिलेश यादव के खिलाफ हमला बोल रही थीं.

उन्होंने आरोप लगाया कि गठबंधन से उनकी पार्टी को फायदे की जो उम्मीद थी, वो पूरी नहीं हुई. पार्टी की बैठक में मायावती ने कहा कि बसपा को समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन से कोई फायदा नहीं हुआ है.

दोनों दलों के बीच वोट ट्रांसफर नहीं हुए. उन्होंने कहा सपा अध्यक्ष यादव वोटरों को समझा नहीं पाए, यही कारण रहा कि उनकी पत्नी और भाई खुद भी चुनाव हार गए.

 

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